मध्य प्रदेश : एक महीना पहले हुई गुना में बस दुर्घटना में 13 लोगों की मौके पर मौत हो गई। इस दुर्घटना में शामिल बस का नंबर खुलासा करते हुए, भास्कर ने रिपोर्ट किया कि बस का नंबर फर्जी था। पड़ताल से पता चला कि इस बस की प्लेट, परमिट, और फिटनेस में भ्रष्टाचार का कारण बड़े पैम्प का हिस्सा था।
बस मालिकों के नियमों की अनदेखी से, एक ही नंबर और परमिट पर दो से तीन बसें चलाने का तरीका असंविदानपूर्ण है। कबाड़ से पार्ट्स लेकर बसें असेंबल करना और इसकी जानकारी परिवहन विभाग को नहीं देना, यह गंभीर लापarwahi है। दधर आरटीओ भी इस प्रक्रिया की खानापर्ति करते हैं।
बस के रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस में पंजीकरण के दस्तावेज़ में बस का इंजन नंबर, चेसिस नंबर, मॉडल नंबर, रजिस्ट्रेशन तारीख, कलर, सीटिंग कैपेसिटी, व्हील बेस, मालिकाना हक, बीमा और रजिस्ट्रेशन की वैलेडिटी समेत अन्य विवरण दर्ज होते हैं। इसके पश्चात, बस रोड पर चलने के लिए पूर्वनिर्धारित होती है।
अब समझिए कैसे होता है खेल
बस ऑपरेटर अनिल सूद ने बताया कि इस खेल में कई लेवल्स होते हैं। पहले लेवल में, बस मालिक के पास कई गाड़ियां होती हैं, और एक नई गाड़ी एक्सीडेंट में डैमेज हो जाती है। इसके बाद, उस गाड़ी से अच्छे पार्ट्स निकालकर उन्हें दूसरी पुरानी गाड़ियों में लगवा दिया जाता है, जबकि उसके आरटीओ नंबर की गाड़ी चलाई जाती है।
बस ऑपरेटर जब गाड़ी के चेसिस या अन्य पुराने पार्ट्स में खराबी होने पर, वे आमतौर पर नए चेसिस को खरीदने या कबाड़ से पुराने चेसिस को लेने का विकल्प चुनते हैं। इसके बाद, वे पुरानी बस की बॉडी को नए चेसिस पर लगवा देते हैं, जिससे वाहन को नया जीवन मिलता है।
बस के चेसिस का बदलाव करने पर, नियमानुसार RTO को इसकी जानकारी देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही, रजिस्ट्रेशन भी अपडेट करना आवश्यक है। यह प्रक्रिया पैसे बचाने के लिए अधिकांश बस ऑपरेटरों द्वारा अनदेखी जाती है, जो सिर्फ नियमों की अनदेखी करते हैं।
Discover more from The Bharat 24 News
Subscribe to get the latest posts sent to your email.