नवाज शरीफ जैसे पाकिस्तानी नेता भारत के मुद्दों को चुनावों में उठाते हैं क्योंकि यह उनके चुनावी बयानों में एक प्रभावी रणनीति साबित होता है। इससे उन्हें अपने नेतृत्व को मजबूत करने में मदद मिलती है और वे अपनी देशवासियों को यह संदेश देते हैं कि वे देश के अंतर्राष्ट्रीय मामलों में नेतृत्व दिखा सकते हैं। दूसरी ओर, भारत के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाने का मकसद उनकी राजनीतिक या सुरक्षा नीतियों को समझने के लिए उपयोगी हो सकता है, जैसे कि कश्मीर मुद्दे पर भारत के साथ संबंध बनाने की कोशिश। यह एक चालाक रणनीति हो सकती है जिससे पाकिस्तान को अपने हितों को प्राप्त करने में मदद मिल सकती है, चाहे वो विश्वस्त या अविश्वसनीय क्यों न हो।
पाकिस्तान में नई सरकार के गठन के लिए चुनाव की दिशा में दिलचस्प घटनाएं उमड़ रही हैं। इमरान खान की जेल में होने के कारण, नवाज शरीफ की पार्टी, पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) और बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के बीच महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धा है। नवाज शरीफ को सेना का बेहतर समर्थन मिलने के कारण, उन्हें प्रधानमंत्री पद की तीसरी बार की उम्मीद है।
पाकिस्तान की सेना ने ‘प्रोजेक्ट इमरान’ के बाद नवाज शरीफ पर दांव लगाया है। नवाज शरीफ की जीत सुनिश्चित होने के पीछे पाकिस्तान की सेना की गुडबुक में उनका सबसे ऊपर होना है। सेना की इमरान खान से तल्खियां बढ़ी हुई हैं, जिस वजह से पाकिस्तान में नवाज शरीफ का सिलेक्शन पक्का माना जा रहा है। यह समर्थन नवाज शरीफ को पाकिस्तान की नई राजनीतिक दिशा का मुख्य चेहरा बनाता है, जो सेना के प्रमुख आर्थिक, रक्षा, और बाहरी नीतियों के साथ मिलाने का प्रयास कर रहे हैं।
पाकिस्तान के प्रमुख पत्रकार ने स्पष्ट रूप से घोषित किया है कि नवाज शरीफ फिर से प्रधानमंत्री बनने की योजना बना रहे हैं। पांच साल पहले उन्हें घोटाले में दोषी पाया गया था और चुनाव लड़ने से रोका गया था। अदालत ने उन्हें उम्रकैद से लेकर 10 साल की सजा सुनाई थी, लेकिन फिर भी उन्हें रिहा किया गया है।
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नवाज शरीफ भारत को अपने चुनावी राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उपयोग कर रहे हो सकते हैं। उनकी यह कदम भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नई दिशा देने की कोशिश हो सकती है, जहां वे दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने के लिए मध्यस्थता का काम करना चाहते हों। इसके अलावा, उनका यह कदम भारतीय चुनावों में नवाज की राजनीतिक भूमिका को मजबूत करने के लिए भी हो सकता है।
कुछ लोग यह सोच सकते हैं कि नवाज शरीफ का यह कदम भारत के साथ दोस्ती की बढ़ती साझेदारी के लिए एक प्रयास हो सकता है, जिससे कश्मीर जैसे मुद्दों पर समाधान निकालने में मदद मिल सकती है। हालांकि, इसका भारतीय समाज और सरकार के बीच किसी भी नयी संबंध की शुरुआत पर विचार किया जा रहा है।
इसके अलावा, नवाज शरीफ चुनावों में भारत के बारे में बात करके अपनी चुनावी अक्षमता को छुपाने का प्रयास भी हो सकता है। वे अपने पूर्वी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी के साथ यात्राएँ करके अपने राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाने का प्रयास कर सकते हैं।
कुल मिलाकर, नवाज शरीफ के इस कदम के पीछे कई राजनीतिक, सामाजिक और विदेशी मामले हो सकते हैं, जिनका समाधान कठिन हो सकता है। इसे समझने के लिए, और इस विषय पर अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए, अधिक समय और शोध की आवश्यकता हो सकती है।
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नवाज शरीफ भारत से रिश्ते ठीक करने की इच्छा का पहला कारण है भारत की तरक्की और उसका प्रभाव। पाकिस्तान के लोग भी भारत की चमक को महसूस कर रहे हैं और मानते हैं कि भारत से दोस्ती के माध्यम से उन्हें भी फायदा हो सकता है। इसके अलावा, नवाज शरीफ को यह भी महसूस होता है कि भारत से दोस्ती बनाए रखने से उनकी सियासी ताकत में भी वृद्धि हो सकती है। इसलिए, उन्होंने लंदन से लौटकर से ही भारत के प्रति सुगम रवैया अपनाया है। इससे पुराने दोस्ताना रिश्तों को मजबूत करके वे अपने राजनीतिक क्षेत्र में भी मजबूती लाने का प्रयास कर रहे हैं।
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