असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को लोकसभा में राम मंदिर पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान उठाए गए मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बाबरी मस्जिद जिंदाबाद के नारे लगाए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को केवल एक मजहब की सरकार और हिन्दुत्व की सरकार बताया। उनका कहना था कि मोदी सरकार केवल हिन्दू धर्म के हित में काम करती है, और अन्य समुदायों को नजरअंदाज करती है।
संसद में राम मंदिर के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान आज एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन औवेसी ने केंद्र सरकार पर जोरदार हमला किया। औवेसी ने कहा, “बाबरी मस्जिद जिंदाबाद, बाबरी मस्जिद जिंदाबाद… मस्जिद थी, है और रहेगी।” केंद्र को निशाने पर लेते हुए औवेसी ने कहा, “क्या मोदी सरकार सिर्फ एक मजहब की सरकार है? क्या मोदी सरकार सिर्फ हिन्दुत्व की सरकार है? क्या देश का कोई मजहब है? देश का कोई मजहब नहीं है। मुसलमानों को क्या पैगाम दे रहे हैं आप?”
सरकार पर हमला
ओवैसी ने अपने बयान में कहा कि मोदी सरकार केवल एक मजहब की सरकार नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के धों को मानने वाली सरकार होनी चाहिए। उन्होंने जनवरी 22 को मनाए जाने वाले अयोध्या के इतिहासिक दिन को लेकर उन्होंने कहा कि इससे करोड़ों मुसलमानों को क्या संदेश मिल रहा है। ओवैसी का दावा है कि सरकार का यह अवस्थित एक धर्म की विजय को प्रमोट करने का संदेश देने जैसा है। उन्होंने कहा कि उनका बयान बाबर, औरंगजेब, और जिन्ना के प्रशंसक का प्रवक्ता नहीं है, और 1992, 2019, और 2022 में मुसलमानों को धोखा दिया गया है।
राम की इज्जत करता हूं लेकिन नाथूराम से नफरत
देश में 6 दिसंबर 1992 के बाद भावनात्मक और सामाजिक तनाव बढ़ा था। नौजवानों को जेल में डाला गया और उन्हें बूढ़े होकर बाहर आना पड़ा। इस संदर्भ में, व्यक्ति के विचारों और विश्वासों का सम्मान करना महत्वपूर्ण है। नाथूराम गोडसे के द्वारा राजगज का हत्या करने के कारण, वह व्यक्ति जिनके अंतिम शब्द “हे राम” थे, के साथ जुड़ा है। इसलिए, उसके प्रति नफरत का अनुभव हो सकता है।
ओवैसी से बाबर के बारे में पूछने का कारण यह हो सकता है कि बाबर को भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण रूप से याद किया जाता है, और उसके कार्यों का देश पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा। इससे बाबर पर भारतीय राजनीति और समाज में विवादित विचार हैं, जिसके बारे में ओवैसी से चर्चा करना उपयुक्त हो सकता है।
बोस, नेहरू, और हमारे देश के बारे में पूछना अपेक्षित है, क्योंकि उनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीय निर्माण में महत्वपूर्ण रहा है। उनकी विचारधारा, कार्यक्षमता, और समर्थन देश के इतिहास में अद्वितीय स्थान रखते हैं, और इसलिए उनके बारे में विस्तार से चर्चा करना महत्वपूर्ण है।
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