कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है। पार्टी का आरोप है कि उनकी यूथ विंग और कांग्रेस के खाते फ्रीज कर दिए गए हैं। पार्टी नेता अजय माकन ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया है कि अकाउंट फ्रीज होने के कारण ना तो कर्मचारियों की सैलरी दे पा रहे हैं और ना ही बिलों का भुगतान हो पा रहा है।
कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता अजय माकन ने बताया है कि कांग्रेस से जुड़े खातों को फ्रीज कर दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि न केवल कर्मचारियों की सैलरी निकाल पा रहे हैं, न ही वे बिलों का भुगतान कर पा रहे हैं। उन्होंने यह भी उजागर किया कि कांग्रेस के साथ-साथ यूथ कांग्रेस के अकाउंट भी फ्रीज कर दिए गए हैं।
अजय माकन ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के अकाउंट्स फ्रिज हो गए हैं और उन्होंने इसे देश पर तालाबंदी की तरह बताया है। उन्होंने कहा कि डेमोक्रेसी भी फ्रिज हो गई है। वे यह भी कह रहे हैं कि लोकसभा चुनाव के ऐलान को कुछ हफ्ते ही बचे हैं और इस समय में सरकार क्या साबित करना चाहती है, इसका संकेत है कि देश की प्रमुख पार्टी के अकाउंट्स फ्रीज कर दिए गए हैं। वे बताते हैं कि इनकम टैक्स विभाग ने 210 करोड़ रुपए की रिकवरी की मांग की है।
इनकम टैक्स की फाइलिंग से जुड़ा है मामला
कांग्रेस नेता ने 2018-19 के इनकम टैक्स फाइलिंग को आधार बनाकर करोड़ों रुपए की मांग की है, जिसे वे लोकतंत्र की हत्या बताते हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले उनके अकाउंट फ्रीज कर दिए गए हैं। वे यह भी उठाते हैं कि कांग्रेस पार्टी के यूथ कांग्रेस के मेम्बरशिप ड्राइव के जरिए पैसे इकट्ठा किए जाते हैं, जो भी फ्रीज कर दिए गए हैं।
पार्टी बैंक से नहीं निकाल पा रही है पैसे
माकन ने कहा कि पार्टी ने रिटर्न फाइल करने में देरी की, लेकिन 45 दिन का अतिरिक्त समय दिया गया था। इसका यह मतलब नहीं है कि खाता ही फ्रीज कर दिया जाए। उन्होंने आगे कहा कि इससे सब कुछ प्रभावित हो सकता है।
व्यक्ति इस बारे में कह रहा है कि वह खाता फ्रीज किया जाए या न किया जाए, यह नहीं है, लेकिन उन्होंने अगला कदम बताया है कि उनके पास विभिन्न आर्थिक समस्याएं हैं। उनके पास बिजली के बिल और सैलरी के लिए पैसे नहीं हैं, और वे बैंक में पैसे जमा नहीं कर पा रहे हैं और न ही बैंक से पैसे निकाल पा रहे हैं।
कल ही इलेक्टोरल बॉन्ड पर आया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन पहले इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। उन्होंने इस बॉन्ड की वैधता को असंवैधानिक ठहराते हुए उसे रद्द कर दिया। सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा कि इससे सूचना के अधिकार का उल्लंघन होता है, इसलिए इलेक्टोरल बॉन्ड को वैध नहीं माना जा सकता। इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉंड खरीद पर रोक लगाते हुए एसबीआई से आदेश दिया कि वह चुनाव आयोग को बॉन्ड का पूरा ब्योरा मुहैया कराए। इसके साथ ही, कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी आदेश दिए कि वह ब्योरे को सार्वजनिक करे।
Discover more from The Bharat 24 News
Subscribe to get the latest posts sent to your email.