कतर ने हाल ही में 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को रिहा कर दिया है, जिसके पीछे कई कारण हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और कतर के बीच मजबूत व्यापारिक रिश्ते भी इसमें एक मुख्य कारक हो सकते हैं। हाल ही में, भारत और कतर के बीच एलएनजी सप्लाई को लेकर अरबों की डील भी हुई है।
कतर ने हाल ही में भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया था, लेकिन अब उन्हें रिहा कर दिया गया है। इस मामले में अगस्त 2022 में उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने कतर स्थित फर्म दहरा ग्लोबल की सीक्रेट्स इजरायल को लीक की थीं। हालांकि, इस मामले का विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया था और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।
कतर की सरकार ने दहरा ग्लोबल इटली की पनडुब्बियों के अधिग्रहण पर कतर की सरकार को सलाह देने का काम किया और सभी भारतीय पूर्व नौसैनिक इसी फर्म के लिए काम किया। संवेदनशील फर्म में काम करने वाले भारतीयों को जब गिरफ्तार किया गया तो फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कतर के अधिकारियों ने उन्हें इसलिए गिरफ्तार किया गया है क्योंकि उन पर कतर के नए पनडुब्बी प्रोग्राम की जानकारी इजरायल की खुफिया विभाग को देने का शक था।
अक्टूबर 2023 में, कतर की एक अदालत ने आठों भारतीयों को मौत की सजा सुनाई। इस घटना ने भारतीय विदेश मंत्रालय में हलचल मचा दी, जिसे वे हैरानी जताई। इस परिस्थिति में, भारतीय सरकार ने तत्काल कदम उठाने की कोशिश की और कतर सरकार से उच्च स्तरीय व्याख्या के लिए जा कर मिलने का अनुरोध किया। इस घटना के पीछे के विवाद के संबंध में विस्तृत रूप में जानकारी को विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त किया गया है। मंत्रालय के अधिकारियों ने इस मामले को कतर के अधिकारियों के समक्ष उठाने का ऐलान किया था। पिछले साल, भारतीय कैदियों की मौत की सजा पर रोक लगा दी गई थी, और अब उनकी रिहाई हो गई है, जो दिखाता है कि भारत ने कैदियों की रिहाई के लिए कितनी कोशिशें की हैं।
कई विश्लेषकों का मानना है कि कतर और भारत के बीच मजबूत होते व्यापारिक संबंधों ने इस मामले में अहम भूमिका अदा की होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कतर के अमीर से मुलाकात भी की थी, जिससे पूर्व नेवी अफसरों की रिहाई का रास्ता खुला होगा।
प्रधानमंत्री मोदी पिछले साल दिसंबर में कतर के अमीर तमीम बिन हमद अल थानी से मिले थे. दोनों नेताओं की यह मुलाकात दुबई में आयोजित COP28 जलवायु शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी. 8 भारतीयों की रिहाई की खबर आने के बाद विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा था, ‘पीएम मोदी इस मामले पर व्यक्तिगत रूप से नजर बनाए हुए थे.’
‘भारत की इजरायल नीति में बदलाव और भारतीय कैदियों की रिहाई’
भारतीय कैदियों की रिहाई की खबर पर अमेरिका में स्थित अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन न्यूज मैगजीन द डिप्लोमैट ने एक लेख प्रकाशित किया है। लेख में बताया गया है कि इस घटना के संदर्भ में भारत की मध्य पूर्व नीति, खासकर इजरायल नीति में नाटकीय बदलाव आए हैं। लेख विस्तार से यह बताता है कि इस रिहाई का विशेष महत्व है और इसके असर को समझना जरूरी है।
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