पश्चिम बंगाल में हाल ही में एक नया सियासी अखाड़ा बना है जो संदेशखाली गांव में चरम पर है। चार दिनों से यहां बवाल हो रहा है, जहां गांव वालों ने टीएमसी नेता शाहजहां शेख के खिलाफ आवाज बुलंद की है। इसके परिणामस्वरूप, बीजेपी ने पूरे सूबे में ममता सरकार के खिलाफ विरोध प्रकट किया है।
संदेशखाली, उत्तर 24 परगना जिले के बशीरहाट ब्लॉक में स्थित, बगाल की राजधानी कोलकाता से लगभग 80 किलोमीटर दूर है। यहां महिलाओं के शोषण के खिलाफ विपक्ष आवाज बुलंद कर रहा है, लेकिन ममता सरकार ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के नेताओं की संदेशखाली में एंट्री पर रोक लगा दी है। बीजेपी ममता सरकार को जंगलराज बता रही है जबकि बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी को क्रूरता की रानी कहा है।
संदेशखाली जाने वाले सारे रास्ते सील
क्रांतिकारी परिवर्तनों के समय में, पश्चिम बंगाल में राजनीतिक द्वंद का दृश्य देखने को मिल रहा है। पुलिस और आरएएफ के कड़े पहरे का उल्लेखनीय उपयोग यह दर्शाता है कि सरकार संदेशखाली जाने वाले सभी रास्तों पर निगरानी बनाए रखने के लिए सख्ती से काम कर रही है। इसके अलावा, बीजेपी और कांग्रेस के बीच तनाव बढ़ रहा है, जैसा कि उनकी आपसी टक्कर में घटिया हालात बढ़ रहे हैं। इसे उचित रूप से समझाने के लिए, एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने की आवश्यकता है।
गृह मंत्रालय करेगा हस्तेक्षप
गृह राज्य मंत्री निसिथ प्रामाणिक ने संदेशखाली में हुई घटना पर आलोचनात्मक बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति गंभीर है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मौन साक्ष्य बनने का आरोप लगाया। उन्होंने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है और केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय से हस्तक्षेप की अपेक्षा की है।
बीजेपी सांसदों की पुलिस से झड़प
केंद्र सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने संदेशखाली पीड़ित महिलाओं से मिलने की कोशिश की, पर पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इसके बाद पुलिस और केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी समेत सभी बीजेपी सांसदों के बीच जोरदार बहस हुई। ममता सरकार का आरोप है कि जो महिलाएं टीएमसी नेता शाहजहां शेख पर यौन शोषण और जमीन कब्जे के आरोप लगा रहीं हैं, वे बीजेपी समर्थक या बाहरी हो सकती हैं। इस तरह, महिलाएं अपने आधार कार्ड को दिखाकर बताईं कि वे स्थानीय हैं और जुल्म को सियासत की आड़ में छिपाया नहीं जा सकता।
BJP नेताओं के प्रतिनिधिमंडल को रोका गया, जो केंद्रीय रेलवे कर्मचारियों द्वारा किया गया। यह रोका संदेशखाली से सिर्फ 4 किलोमीटर दूर था। इसके बाद, BJP नेता धरने पर बैठ गए, जहां महिला सांसदों ने ममता सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि ममता सरकार पीड़ितों से मिलने की अनुमति नहीं दे रही है। संदेशखाली में पीड़ितों से मिलने वाली एससी आयोग की टीम ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति मुर्मू को सौंपी है, जिसमें हालात का विस्तृत विवरण शामिल है।
शाहजहां शेख और उसके गुर्गे करते थे यौन शोषण
शाहजहां शेख, एक टीएमसी के फरार नेता, पर गंभीर आरोप लगे हैं। उनपर पहले भी संदेशखाली इलाके में दंगे का आरोप लगा था। जब ईडी की टीम उनके ठिकाने पर छापा मारने पहुंची थी, तो उन्होंने ईडी टीम पर हमला करवाया था। हालांकि, सीएम ममता बनर्जी ने अपने फरार नेता के बचाव में उतर आईं।
स्थानीय टीएमसी ऑफिस में शाहजहां शेख और उसके गुर्गे के द्वारा महिलाओं और लड़कियों पर दबाव डालकर जबरन यौन शोषण किया जाता था। महिलाओं ने इसकी शिकायत की, जिसके बाद लोगों ने टीएमसी ऑफिस पर हमला किया। इसके परिणामस्वरूप, टीएमसी के ऑफिस में ताला लगा दिया गया और बहुत से लोग फरार हो गए। अब यहां पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
राज्यपाल की रिपोर्ट में हैरान करने वाले खुलासे
राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने सोमवार को संदेशखाली का दौरा किया था और पीडितों से बात करने के बाद अपनी रिपोर्ट गृहमंत्रालय को सौंपी। सूत्रों के हवाले से खबर है कि राज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि संदेशखाली में अराजकतत्वों से निपटने में पुलिस और प्रशासन असफल रहा है। पुलिस ने माफिया से निपटने में सख्ती नहीं दिखाई। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पीड़ित परिवार चाहते हैं कि स्वतंत्र कमेटी इस मामले की जांच करे। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने जब संदेशखाली के उन पीड़ितों से मुलाकात की, तो उनका आरोप है कि उनके साथ गुलामों जैसा व्यवहार किया जाता है।
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