इंदौर : सोमवार को इंदौर हाईकोर्ट में हुई धार की भोजशाला के सर्वे के मामले की सुनवाई में, 1902 में हुए सर्वे को लेकर बहस हुई। हिंदू पक्ष की ओर से मांग की गई कि मंदिर परिसर का दोबारा सर्वे किया जाए। कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। वकीलों का कहना है कि कोर्ट ने इसे अयोध्या जैसा मामला बताया है।
सात जनहित याचिकाओं में से मुख्य याचिका हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की है, जो भोजशाला के मामले में इस तरह से है:
मुस्लिमों को भोजशाला में नमाज पढ़ने से तुरंत रोकने की मांग।
हिंदुओं को नियमित पूजा का अधिकार देने की मांग।
धार्मिक समुदायों के बीच समानता की भावना को बनाए रखने की याचिका।
सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करने की मांग।
अल्पसंख्यक समुदायों के धार्मिक अधिकारों का संरक्षण करने की याचिका।
संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की प्रमाणित करने की मांग।
धार्मिक स्वतंत्रता की गरिमा और समर्थन को सुनिश्चित करने की मांग।
विनय जोशी ने बताया कि मामले में जल्दी सुनवाई करने के लिए एक एप्लिकेशन लगाई गई थी। पिछली सुनवाई में फरवरी की तारीख मिली थी। मामले में शासन सहित सभी पक्षों की तरफ से जवाब दे दिया गया है। सोमवार को मंदिर के सर्वे पर बहस हुई।
बहस के मध्य सर्वे के लिए मंदिर में आए लोगों के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि सर्वे के दौरान वे ध्यान से सुनते थे और लोगों के विचारों को नोट करते थे। सभी पक्षों ने अपने सुझाव और प्रतिक्रियाओं को साझा किया। इस बहस का मुख्य उद्देश्य मंदिर के सुरक्षा और व्यवस्था को सुधारना था।
सर्वे के नतीजे के आधार पर मंदिर के प्रबंधन ने कई कदम उठाए, जैसे कि सुरक्षा को मजबूत करने के लिए और संगठन को प्रभावी बनाने के लिए। इसके अलावा, धार्मिक और सामाजिक कार्यों को और अधिक समर्थ बनाने के लिए भी कदम उठाए गए। इस बहस के माध्यम से सभी पक्षों के बीच समझौते की संभावना भी बनी।
आखिरकार, बहस ने एक नई ऊर्जा और समर्था का संचार किया, जो मंदिर की समृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण थाा।
वकील बोले- कोर्ट ने कहा अयोध्या जैसा मामला है
वकील विनय जोशी ने बताया, कोर्ट ने ये कहा है कि ये अयोध्या जैसा मामला है। उन्होंने बताया, हमारी मांग है कि आर्कोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से एक साइंटिफिक सर्वे करवाया जाए, जिससे स्पष्ट हो सके कि भोजशाला का धार्मिक कैरेक्टर क्या है। सर्वे रिपोर्ट में ये पता चलता है कि वहां मस्जिद थी तो पूजा नहीं होगी, लेकिन अगर ये खुलासा होता है कि वहां मंदिर है तो फिर नमाज नहीं पढ़ी जाए। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान फिलहाल सर्वे को लेकर कोई ऑर्डर नहीं दिया है। अगली तारीख भी तय नहीं की है। भोजशाला से संबंधित जबलपुर कोर्ट में लंबित याचिकाओं की जानकारी कोर्ट ने मांगी है। उसके बाद ही सर्वे को लेकर कोर्ट से डायरेक्शन मिलने की संभावना है। हालांकि,
जोशी ने कहा, हमने कलर्ड फोटोग्राफ भी कोर्ट में पेश किए हैं, जिससे साफ है कि वहां पिलर पर संस्कृत के श्लोक लिखे हुए हैं। सरस्वती माता वाग्देवी का मंदिर है। मूर्ति लंदन के म्यूजियम में है।
भोजशाला से जड़े विवाद को जान लीजिए
1 मंदिर को मस्जिद में बदला था : भोजशाला राजा भोज द्वारा बनवाई गई थी, जो कि एक प्राचीन यूनिवर्सिटी के रूप में कार्य करती थी। इस यूनिवर्सिटी में वाग्देवी देवी की प्रतिमा स्थापित थी, जो विद्यार्थियों के लिए आदर्श मानी जाती थी। इस कैंपस पर दूर-दूर से छात्र-छात्राएं पढ़ने आते थे। बाद में, एक मुस्लिम शासक ने इसे मस्जिद में बदल दिया। इसके बावजूद, अब भी कैंपस में कुछ अवशेष उपलब्ध हैं, जैसे कमाल मौलाना मस्जिद में। इसके साथ ही, वाग्देवी देवी की प्रतिमा लंदन के म्यूजियम में रखी गई है।
2 मंगलवार को पूजा और शुक्रवार को नमाज : भोजशाला में मंगलवार को हिंदू पक्ष को पूजा-अर्चना की अनुमति है। शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष को नमाज पढ़ने के लिए दोपहर 1 से 3 बजे तक प्रवेश दिया जाता है। दोनों पक्षों को निःशुल्क प्रवेश मिलता है। बाकी दिनों में 1 रुपए का टिकट लगता है। इसके अलावा वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा के लिए हिंदू पक्ष को पूरे दिन पूजा और हवन करने की अनुमति है।
3 शुक्रवार को वसंत पंचमी आने पर विवाद : 2006, 2012, और 2016 में वसंत पंचमी के दिन जब भी शुक्रवार पड़ा, तो एक विवाद की स्थिति उत्पन्न हुई। वसंत पंचमी को हिंदू धर्म के पक्ष से पूजा की जाती है, जबकि शुक्रवार को मुस्लिम समुदाय के लोगों को नमाज के लिए भी जाने की अनुमति होती है। इस परिस्थिति में, वसंत पंचमी के दिन जब शुक्रवार आता, तो समझौते के तहत पूजा और नमाज दोनों का आयोजन किया जाता है। ऐसी स्थिति का दोबारा उत्पन्न होने की संभावना है 2026 में।
यह है मुख्य याचिका
हर मंगलवार हिंदू भोजशाला में यज्ञ कर उसे पवित्र करते हैं और शुक्रवार को मुसलमान नमाज के नाम पर यज्ञ कुंड में थूककर उन्हें अपवित्र कर देते हैं। इसे रोका जाए।
भोजशाला का पूर्ण आधिपत्य हिंदुओं को सौंपा जाए। इसके लिए आवश्यक हो तो संपूर्ण भोजशाला की फोटोग्राफी, वीडियो ग्राफी और खुदाई करवाई जाए। (हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने 1 मई 2022 को इंदौर हाईकोर्ट में यह याचिका दायर की थी
हाईकोर्ट ने मांगा था जवाब
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के शुरुआती तर्क सुनने के बाद इस मामले में राज्य शासन और केंद्र शासन सहित अन्य संबंधित पक्ष कारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इसके बाद सरकार ने अपना जवाब दे दिया। याचिका के साथ 33 फोटोग्राफ भी लगाए गए थे।
यह है भोजशाला का इतिहास
भोजशाला विवाद सदियों पुराना है। हिंदू पक्ष का कहना है कि यह सरस्वती देवी का मंदिर है। सदियों पहले मुसलमानों ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहां मौलाना कमालुद्दीन की मजार बनाई थी। भोजशाला में आज भी देवी-देवताओं के चित्र और संस्कृत में श्लोक लिखे हुए हैं। अंग्रेज भोजशाला में लगी वाग्देवी की प्रतिमा को लंदन ले गए थे। याचिका में कहा है कि भोजशाला हिंदुओं के लिए उपासना स्थली है। मुसलमान नमाज के नाम पर भोजशाला के भीतर अवशेष मिटाने का काम कर रहे हैं।
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