लोकसभा चुनावों में अमेठी में एक बार फिर एक तगड़ी जंग देखने को मिल सकती है। भारत जोड़ो न्याया यात्रा के दौरान अपनी पुरानी लोकसभा सीट पर राहुल गांधी को मिले रिस्पांस से उनका आत्मविश्वास जरूर लौटा होगा। स्मृति इरानी भी जनता के बीच रहने का कोई मो नहीं।
राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का अमेठी में समय देना और उनका सोमवार को दहाड़ना स्थानीय राजनीतिक संदेश बनता है कि कांग्रेस अपने इस क्षेत्र के पुनर्जीत करने के लिए प्रतिबद्ध है। उनके इस कदम से स्पष्ट होता है कि वे अमेठी को फिर से अपने पक्ष में प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
राहुल गांधी के अमेठी पहुंचने से पहले ही वहां का माहौल गरम था, और जयराम रमेश की बातों से लगता है कि कांग्रेस को यह उत्साहित कर सकता है कि गांधी परिवार का कोई शख्स वहां से चुनाव लड़ सकता है। राहुल को देखने के लिए जितनी भीड़ अमेठी में जुटी, उससे कांग्रेस को और उत्साह मिलेगा। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी के गो बैक के नारे लगाए, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि इसे विस्तृत रुप में समझा जाए।
भारतीय राजनीति में एक दिलचस्प माहौल है, जहां नेताओं के बीच टक्करें नहीं बल्कि नारे भी चुनावी चर्चा को रोचक बनाते हैं। बीजेपी के पक्ष से कुछ नारे ऐसे हैं जिनका मतलब यह है कि उन्हें राहुल गांधी के आने से कुछ खतरा है। इससे स्पष्ट होता है कि चुनाव में बीजेपी को कठिन टक्कर मिल सकती है।
उदाहरण के रूप में, अमेठी से भाजपा की नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने राहुल गांधी को चुनौती दी है कि अगर उनमें दम है तो वह अमेठी से चुनाव लड़ें। यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम है जो नामांकन प्रक्रिया में रोचकता और द्रष्टिकोण लाता है। इस चुनौती के माध्यम से उन्होंने राहुल गांधी को अपनी राजनीतिक प्रतिभा दिखाने का अवसर दिया है।
अमेठी में राहुल और स्मृति की हुंकार बताती है कि मुकाबले का बिगुल बज चुका है
अमेठी में सोमवार को एक अनोखा माहौल था। लोग राहुल गांधी की झलक पाने के लिए घरों और दुकानों के बाहर जमा हो गए थे। जिले की सड़कें कांग्रेस के झंडों, न्याय योद्धा जैसे नारों वाले होर्डिंग और राहुल के कटआउट से पटी हुई थीं। यहां तक कि जब राहुल के दौरे का कारवां गुजरता, तो लोगों में उत्साह का अनुभव हो रहा था। इस घटना के बावजूद, 2019 में स्मृति ईरानी ने राहुल को 55,000 वोटों से हराया था। लेकिन राहुल के दौरे से ऐसा महसूस हो रहा था कि वह पूरे अमेठी को छूना चाहते हैं।
राहुल बहुत होशियारी से यहां लोकल मुद्दों पर बात नहीं करते. वो जाति जनगणना की बात करते हैं. वो दलितों और पिछड़ों की बात करते हैं. राहुल कहते हैं कि हमारी यात्रा के दौरान बहुत सारे लोग हमारे पास आए, जिनमें किसान, मजदूर, छोटे व्यापारी भी शामिल थे. उन्होंने हमें बेरोजगारी, मुद्रास्फीति के बारे में बताया और जीएसटी के बारे में शिकायत की. फिर राहुल अमेठी से अपने पुराने रिश्ते की बात करते हैं. राहुल कहते हैं मैं अमेठी आया हूं और आपने प्यार से मेरा स्वागत किया है. हमारा रिश्ता बहुत पुराना है, प्यार का रिश्ता है. मैं आप सभी को दिल से धन्यवाद देता हूं.
दूसरी तरफ स्मृति इरानी भी अमेठी में मोर्चा संभाले हुई हैं. वो राहुल गांधी को अपने खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती भी दे रही हैं. उनका दा है कि राहुल गांधी के स्वागत के लिए भी प्रतापगढ़ और सुल्तानपुर से लोग लाने पड़े हैं. वो कहती हैं कि अगर वो आश्वस्त हैं, तो वायनाड जाए बिना अमेठी से चुनाव लड़कर दिखाएं. स्मृति इरानी के साथ प्लस पॉइंट यह है कि वह लगातार अमेठी की जनता की टच में हैं. चुनाव जीतने के बाद भी वो हर महीने अमेठी आती हैं. जबकि राहुल गांधी चुनाव हारने के बाद केवल 3 बार अमेठी आए हैं. 22 फरवरी को स्मृति इरानी अमेठी में अपने नए बने घर में गृह प्रवेश करने वाली हैं. स्मृति इरानी ने अमेठी में घर बनवाने की वजह भी बताई थी कि उनसे मिलने के लिए लोगों को दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा. जाहिर है, ये भी गांधी परिवार पर ही कटाक्ष था.
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