सुुुुुप्रीम कोर्ट नेे खनिज पर टैक्स को लेकर राज्यों और कैंद्र के बीच मतभेद पर बडा फैसला दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि खनिजों पर लगने वाली रॉयल्टी को टैक्स नहीं माना जा सकता। इस तरह केंद्र को झटका लगा है। अदालत की संवैधानिक बेंच ने 8 ; 1 के बहुमत से दिये गए फैसलेे में कहा कि संसद के पास संविधान के प्रावधानों के तहत खनिज अधिकारों पर कर लगाने की शक्ति नहीं है। चीफ डी वाई चंद्रचूड ने कहा कि न्यायमूूूर्ति बी वी नागरत्ना ने इस बात पर असहमतिपूर्ण फैसले है कि खनिजों पर देय रॉयल्टी कर है या नही। वहीं अन्य 8 जजों ने एकमत से कहा कि इसे टैक्स नही माना जा सकता। इस तरह संविधान पीठ ने व्यवस्था दी कि खनिजों पर दी जाने वाली रॉयल्टी कर नहीं है। इस अहम फैसले को सुनाने वाली बेंच में चीफ जस्टिम डीवाई चंद्रचूड के अलावा जस्टिम ऋषिकेश राॅॅय , एएस ओका , जेबी पारदीवाला , मनोज मिश्रा , बीवी नागरत्ना , उज्जल भुयां , सतीश चंद्र शर्मा , ऑगस्टीन जाॅॅॅर्म मसीह शामिल थे । बेंच में शामिल अकेले जस्टिम बीवी नागरत्ना ऐसे जज थे जिन्होंने बहूमत से अलग राय दी। चीफ जस्टिम ने अपनी और 7 अन्य जजों की तरफ से फैसला सुनाते हुुए काहा कि संविधान के अनुसार केंद्र या संसद के पास अधिकार नही कि वह खनिज पर टैक्स लगा सके। अदालत ने संविधान की लिस्ट 2 की एंट्री 50 के तरह यह व्यवस्था दी। इसी में खनिजों पर टैक्स को लेकर वर्णन किया है।
अदालत के फैसले से किन राज्यों को मिलेगा फायदा
शीर्ष अदालत के इस फैसले से खनिजों के मामले में सम्रद्ध ओडिशा झारखंड छत्तीसगढ पक्श्मि बगांल मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों को बडा फायदा होगा अब इस मामले में बुधवार को फिर सुनवाई होगी जिसमें अदालत यह विचार करेगी कि इस फैसले को बीते दिनों से लागू किया जाए या फैसले के बाद से लागू किया जाए । चीफ जस्टिम ने अपने फैसले में 1989 में दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी गलत बताया उस फैसले में अदालत ने कहा था कि खनिजों पर लगने वाली रॉयल्टी एक टैक्स है।
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