मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि हिंदू पक्ष की ओर से दायर 18 याचिकाएं एक साथ सुनी जाएंगी। हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि शाही ईदगाह का ढाई एकड़ का क्षेत्र मस्जिद नहीं है, बल्कि भगवान कृष्ण का गर्भगृह है।
मुस्लिम पक्ष ने दलील दी थी कि 1968 के समझौते के अनुसार मस्जिद के लिए जगह दी गई थी और 60 साल बाद उस समझौते को गलत ठहराना उचित नहीं है। उनका कहना था कि हिंदू पक्ष की याचिकाएं सुनवाई लायक नहीं हैं। हालांकि, हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद मुस्लिम पक्ष की इस दलील को स्वीकार नहीं किया। अब हिंदू पक्ष की 18 याचिकाओं की एकसाथ सुनवाई होगी, जिनकी प्रकृति समान है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा, ’25 सितंबर 2020 को पहली याचिका दायर की गई थी। 4 महीने तक सुनवाई चली। आज हाईकोर्ट ने 18 याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना है। अब इस केस में ट्रायल चलेगा और हमें सबूत पेश करने का मौका मिलेगा।
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा, ’25 सितंबर 2020 को पहली याचिका दायर की गई थी। 4 महीने तक सुनवाई चली। आज हाईकोर्ट ने 18 याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना है। अब इस केस में ट्रायल चलेगा और हमें सबूत पेश करने का मौका मिलेगा।
हिंदू पक्ष ने आरोप लगाया कि शाही ईदगाह कमेटी को दी गई जमीन नियमों के खिलाफ है।
हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल 18 याचिकाओं को शाही ईदगाह कमेटी के वकीलों ने हाईकोर्ट में ऑर्डर 7, रूल 11 के तहत चुनौती दी। उन्होंने बहस के दौरान कहा कि मथुरा कोर्ट में दाखिल याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और यह पूजा स्थल अधिनियम 1991, वक्फ एक्ट और लिमिटेशन एक्ट से बाधित है। इसलिए, इस मामले में कोई भी याचिका दाखिल या सुनी नहीं जा सकती।
हिंदू पक्ष ने दलील दी कि इस मामले पर पूजा स्थल अधिनियम और वक्फ बोर्ड कानून लागू नहीं होते। उन्होंने कहा कि शाही ईदगाह परिसर वह जगह है जहां श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्थित है, और समझौते के तहत मंदिर की जमीन को शाही ईदगाह कमेटी को देना नियमों के खिलाफ है।
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