इंदौर में अपने माता-पिता पर एफआईआर दर्ज कराने वाले बच्चे अब उनके साथ रहने को भी तैयार नहीं हैं। दैनिक भास्कर उनके पास पहुंचा तो बच्चे बोले, ‘माता-पिता दोनों हमें मारते हैं। टॉर्चर करते हैं और अंधेरे कमरे में बंद कर देते हैं। पिता नशे में रहते हैं और मां सोशल मीडिया पर पूरा दिन बिताती है।’
21 वर्षीय बेटी का आरोप है कि प्रताड़ना से 8 साल का छोटा भाई रोता तो मां उसके मुंह पर हाथ रखकर दबा देती थी। उसे गरम चिमटे से डराती और कहती थी- पैदा ही क्यों हुआ? मर क्यों नहीं जाता।
बेटी ने बताया- पापा ने कभी जॉब नहीं की। दादाजी की सरकारी नौकरी थी। उन्हें अच्छा वेतन मिलता था। वे दादाजी का पूरा पैसा भी शराब पीने में खर्च कर देते थे। 2020 में जब दादाजी का निधन हुआ तो पिताजी को पैसे मिलना बंद हो गए। इसके बाद तो उन्होंने और टॉर्चर करना शुरू कर दिया। इसके बाद 2021 में हम बुआ के पास आ गए। तब से दोनों बुआ के घर पर ही रहते हैं।
दरअसल, माता-पिता की शिकायत लेकर दोनों भाई-बहन थाने पहुंच गए थे। पुलिस ने पैरेंट्स के खिलाफ चालान पेश कर दिया। माता-पिता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। फिलहाल, हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद जिला कोर्ट में माता-पिता के खिलाफ शुरू किए गए ट्रायल पर अंतरिम रोक लगा दी है। इस मामले में बच्चे और माता-पिता दोनों एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं।
हम अब माता-पिता के पास जाना नहीं चाहते
बेटी ने बताया- माता-पिता हमें भोजन नहीं देते। मेरी फीस नहीं भरी तो मैं एक साल पिछड़ गई। भाई की पढ़ाई रुकवाने की भी कोशिश की। इस कारण हम बुआ के साथ रहने आ गए। मम्मी-पापा ने बुआ के घर आकर मारपीट की। तोड़फोड़ भी की। हमारा गला दबाया। खुद थाने जाकर झूठी रिपोर्ट लिखाई कि बुआ हमें जबरन उठाकर ले आई है।
वे हमें अंधेरे कमरे में बंद कर देते थे। भाई के हाथ-पैर बांध देते थे। उसकी हाफ पेंट गीली हो जाती थी तो मां मारती थी। पापा ने छोटे भाई को एक बार ऐसा धक्का दिया कि उसकी आंख फूटते-फूटते बची। मुझे भी एक बार पेट में इतनी जोर से लात मारी कि अभी भी दर्द होता है।
हम अब उनके पास जाना नहीं चाहते। वे दुनिया को कुछ और दिखाते हैं, जबकि हकीकत कुछ और है। असली लड़ाई प्रॉपर्टी की है। वे पूरी प्रॉपर्टी अपने नाम करना चाहते हैं ताकि उसे बेचकर पैसा कमा लें इसलिए मुझसे, भाई और बुआ से कागजात पर साइन कराना चाहते हैं।
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