मध्य प्रदेश में किसानों की न्याय यात्रा एक बार फिर चर्चा में है। किसानों ने अपनी मांगों को लेकर पूरे प्रदेश में न्याय यात्रा शुरू की है, जिसमें सोयाबीन, गेहूं और धान के समर्थन मूल्य को बढ़ाने की प्रमुख मांग शामिल है। इसके साथ ही, न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर भी किसानों में असंतोष देखा जा रहा है। न्याय यात्रा के मुख्य केंद्रों में इंदौर और भोपाल जैसे शहर शामिल हैं, जहां किसानों ने बड़ी संख्या में ट्रैक्टरों के साथ प्रदर्शन किया।
इंदौर में, प्रशासन द्वारा किसानों के ट्रैक्टरों को शहर में प्रवेश की अनुमति नहीं दिए जाने पर कांग्रेस नेताओं और पुलिस के बीच तीखी बहस हुई। प्रशासन का कहना था कि किसानों को केवल पांच ट्रैक्टर लाने की अनुमति दी गई थी, लेकिन इससे अधिक ट्रैक्टर लाने की कोशिश की गई, जिसके चलते पुलिस ने यात्रा को रोकने का प्रयास किया। कांग्रेस नेताओं ने इसे प्रशासन की मनमानी करार दिया और इसका विरोध किया।
भोपाल में भी कई किसान ट्रैक्टरों के साथ मार्च निकालते हुए अपनी मांगों के समर्थन में सड़कों पर उतरे। इस न्याय यात्रा का नेतृत्व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी इस यात्रा के माध्यम से सिर्फ किसानों की समस्याओं को ही नहीं, बल्कि अन्य मुद्दों को भी उठाना चाहती है, जिनमें भूमि अधिग्रहण कानून का उल्लंघन और राहुल गांधी के खिलाफ की गई अवैध टिप्पणियों के विरोध जैसी बातें शामिल हैं।
कांग्रेस का आरोप है कि राज्य सरकार किसानों की मांगों को नजरअंदाज कर रही है और न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर ठोस कदम नहीं उठा रही है। इसके अलावा, किसानों की ज़मीन अधिग्रहण से जुड़े विवादों को भी जल्द सुलझाने की मांग की जा रही है। कांग्रेस के नेता किसानों के इस आंदोलन के समर्थन में मजबूती से खड़े हैं और प्रदेशभर में अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
किसानों की न्याय यात्रा के साथ ही मध्य प्रदेश में राजनीतिक माहौल गरमाता दिख रहा है। कांग्रेस और राज्य सरकार के बीच तनातनी और बढ़ती जा रही है, जिससे आने वाले दिनों में और भी बड़े आंदोलन से इनकार नहीं किया जा सकता ।
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