भिंड ||
हर साल 3 जनवरी को सावित्रीबाई फुले जयंती मनाई जाती है, जो भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन भारत की पहली महिला शिक्षिका और समाज सुधारक, राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले को श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर होता है। उनके द्वारा किए गए अथक प्रयासों के कारण ही आज महिलाएं और वंचित वर्ग शिक्षा और समानता की ओर अग्रसर हो पाए हैं।
भिंड के MJS ग्राउंड में फुले क्रांतिवीर सेना और कुशवाह समाज के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम ने इस दिन को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। इस अवसर पर राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले, बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर, देवी अहिल्या बाई होल्कर, बीरांगना रानी अंबती बाई लोधी, राष्ट्रमाता फातिमा शेख, बीरांगना झलकारी बाई कोरी, भीष्म पितामह, राष्ट्रवीर दुर्गा देश राठौर, महर्षि बाल्मिकि जी जैसे महान नेताओं की झांकियाँ निकाली गई। यह झांकियाँ समाज सुधार और समानता के प्रतीक महापुरुषों के योगदान को याद करने के लिए थीं।
कार्यक्रम का आयोजन भिंड में विभिन्न समाजसेवी संगठनों द्वारा किया गया था, जिनमें कुशवाह समाज संघ भिंड, अखिल भारतीय कुशवाह महासभा, एक्टिव कुशवाह महासभा, युवा मौर्यवंशी सेना और सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य युवा सेना शामिल थीं। इस चल समारोह में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया और कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।
पूर्व विधायक रक्षा संतराम सरोनिया जी का स्वागत किया गया |
इस अवसर पर MJS ग्राउंड मंच पर पूर्व विधायक रक्षा संतराम सरोनिया जी का स्वागत किया गया | जिसमे लायक सिंह कुशवाह प्रदेश कार्यसमिति सदस्य किसान मोर्चा, (भाजपा) और मानसिंह कुशवाह अध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी भिंड द्वारा विधायक जी को मुकुट पहनाकर स्वागत किया गया |
पूर्व विधायक जी ने कहा –?
सावित्रीबाई फुले जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। वह न केवल महिला सशक्तिकरण की प्रतीक थीं, बल्कि शिक्षा और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में भी अग्रणी रही हैं। उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष ने समाज में महिलाओं के लिए शिक्षा के द्वार खोले, और यह उनके विचारों और कार्यों के कारण ही संभव हुआ कि आज महिलाएं सामाजिक और शैक्षिक क्षेत्र में अपनी पहचान बना पा रही हैं।
सावित्रीबाई फुले जी ने न केवल जातिवाद और पितृसत्तात्मक सोच के खिलाफ आवाज उठाई, बल्कि उन्होंने यह भी सिद्ध किया कि शिक्षा ही समाज में बदलाव का सबसे शक्तिशाली माध्यम है। उनके प्रयासों से प्रेरित होकर आज भी हम सभी यह समझते हैं कि समाज में समानता और न्याय स्थापित करने के लिए हमें निरंतर काम करना चाहिए।
उनके योगदान को न केवल उनके समय में, बल्कि आज भी, हमें याद रखना चाहिए और उनकी प्रेरणा से ही हम समाज में सशक्त और समानता आधारित बदलाव लाने के लिए कार्य करते रहेंगे।
दतिया सबांदाता
रोहित यादव
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