
भोपाल – विकाश मौर्य
आज पूर्व मंत्री श्री पीसी शर्मा जी ने भारत की प्रथम महिला शिक्षिका एवं समाज सुधारिका #सावित्रीबाईफुले जी की जयंती के अवसर पर आज 7 नंबर स्थित महात्मा फुले जी की प्रतिमा पर सावित्रीबाई फुले जी के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया
पूर्व मंत्री श्री पीसी शर्मा जी ने कहा-
सावित्रीबाई का बचपन गरीबी और भेदभाव में बीता, क्योंकि वह निम्न जाति के माली समुदाय से थीं। सावित्रीबाई फुले के सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से एक महिलाओं की शिक्षा में उनका अग्रणी प्रयास था। कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, सावित्रीबाई में ज्ञान की प्यास थी जिसने उन्हें शिक्षा हासिल करने के लिए प्रेरित किया।
श्री मति सावित्रीबाई फुले की जीवनी
सावित्रीबाई का जन्म 3 जनवरी 1831 को पुणे जिले के नैवेसे गांव में हुआ था। उनकी शिक्षा और सामाजिक योगदान ने भारतीय समाज में महिलाओं के अधिकारों की स्थिति को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1841 में उनका विवाह महात्मा ज्योतिराव फुले से हुआ, जो स्वयं समाज सुधारक थे और उन्होंने समाज में जातिवाद और भेदभाव को खत्म करने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किए।
सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं के लिए शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया। उन्होंने भारत के पहले बालिका विद्यालय की स्थापना की और उसमें प्रधानाचार्य के रूप में कार्य किया। इसके अलावा, उन्होंने विशेष रूप से दलित महिलाओं को शिक्षित करने के लिए कई प्रयास किए और इसके लिए उन्होंने विभिन्न स्कूलों की स्थापना की।
सावित्रीबाई ने विधवा विवाह को बढ़ावा देने, छुआछूत को समाप्त करने और महिलाओं के अधिकारों के लिए कई सामाजिक आंदोलनों का नेतृत्व किया। वे एक कवियत्री भी थीं और उनके काव्य लेखन ने समाज में बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें मराठी साहित्य की आदिकवियत्री के रूप में सम्मानित किया जाता है।
उनका जीवन हमें यह संदेश देता है कि समाज में बदलाव लाने के लिए न केवल शिक्षा की आवश्यकता है, बल्कि हमें अपने विचारों और विश्वासों को बदलने के लिए भी सशक्त कदम उठाने होंगे।
दी भारत 24 न्यूज़
भोपाल
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