विकाश मौर्य भोपाल ब्यूरो चीफ :- भोपाल

आज छत्तीसगढ़ सरकार के पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव ने मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। सिंहदेव ने कहा कि जी.एस.टी. वर्तमान में जिन प्रावधानों से लागू है उसमें अमीर और अमीर होते जा रहे हैं और मिडिल क्लास एवं निम्न आय वर्ग और अधिक जी.एस.टी. चुका रहा है। उन्होंने कहा कि देश के 10 प्रतिशत अमीर 3 से 4 प्रतिशत जी.एस.टी. कर दे रहे हैं जबकि देश की निचली 50 प्रतिशत आय वर्ग की आबादी 64 प्रतिशत जी.एस.टी. का भार वहन कर रही है जिससे उसके हाथ में जो पैसा वो अपने घर के लिये, परिवार के लिये वहन कर सकती है, वह जी.एस.टी. के रूप में उनसे सरकार ले लेती है।
श्री सिंह ने कहा कि कर पटाने में व्यवसाईयों को अत्यधिक दिक्कतें हो रही हैं और वर्तमान में 9 जी.एस.टी. के दर प्रचलन में हैं। इनका सरलीकरण अत्यावश्यक है और अधिकतम 2 या 3 जी.एस.टी. के स्लैब दर होना चाहिये। उन्होंने कहा कि सरकारें आय के स्त्रोत बनाने के लिये वस्तुओं पर जी.एस.टी. बढ़ा रही है, उदाहरण के लिये हाल ही में पोपकॉर्न के 3 अव्यवहारिक दर 5, 12 एवं 18 कर दिये हैं।
श्री सिंह ने कहा कि जहाँ मध्यम और निम्न आय वर्ग से अधिक जी.एस.टी. ली जा रही है, वहीं देश के कॉपरेट घरानों को कॉपरेट टैक्स में 2 लाख करोड़ की वार्षिक छूट दी जा रही हैं, निम्न आय वर्ग से जी.एस.टी. लेना पूर्णतः अव्यवहारिक है वहीं कॉपोरेट टैक्स में छूट क्यों दी गई आप स्वयं समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि खाद्य वस्तुओं पर जी.एस.टी. समाप्त होना चाहिये वहीं पैन्सिल जैसी वस्तुओं पर जी.एस.टी. लगाना औचित्यहीन है और स्वास्थ सुरक्षा के लिये जो नागरिक इन्श्योरेन्स कराते हैं उन्हें 18 प्रतिशत जी.एस.टी. देनी पड़ रही है।
श्री सिंह ने कहा कि सरकार को जहाँ जी.एस.टी. की दरों का सरलीकरण करना चाहिये, वहीं जी.एस.टी. के दरों के बढ़ाने के बजाए कर चोरी रोक कर उपभोक्ताओं द्वारा दिये गये जी.एस.टी. से राजस्व बढ़ा कर जी.एस.टी. की दरें भी कम की जा सकती हैं साथ ही आमदनी में भी इजाफा किया जा सकता है।

वर्तमान टीएसटी चुने हुये अमीरों की, अमीरों के द्वारा अमीरों के लिये: टी.एस. सिंहदेव
सिंह ने जी.एस.टी. (वस्तु एवं सेवा कर) के वर्तमान ढांचे और इसके प्रभावों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उनके बयान में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं, जो देश में जी.एस.टी. की नीति को लेकर व्यापक आलोचना को दर्शाते हैं:
- आम आदमी पर असर: सिंह का कहना है कि जी.एस.टी. का वर्तमान रूप गरीब और मिडिल क्लास वर्ग के लिए अधिक भार डाल रहा है, जबकि देश के अमीर वर्ग पर इसका प्रभाव बहुत कम पड़ता है। उनका उदाहरण देते हुए कहा कि देश के 10% अमीर लोग जी.एस.टी. का केवल 3 से 4 प्रतिशत हिस्सा चुकाते हैं, जबकि निचले 50% आय वर्ग की आबादी 64% जी.एस.टी. का भार उठाती है। इससे गरीबों के हाथ में कम पैसा बचता है, जो वे अपने परिवार के लिए उपयोग कर सकते थे।
- जी.एस.टी. स्लैब और दरें: सिंह ने जी.एस.टी. स्लैब और दरों के जटिल ढांचे पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 9 अलग-अलग जी.एस.टी. दरें प्रचलित हैं, जिन्हें सरल बनाना आवश्यक है। उनकी राय में अधिकतम 2 या 3 स्लैब होना चाहिए। उन्होंने उदाहरण स्वरूप पोपकॉर्न जैसे साधारण उत्पादों पर तीन अलग-अलग दरों का जिक्र किया, जो अव्यवहारिक हैं।
- कारपोरेट टैक्स में छूट और असमानता: सिंह ने यह भी बताया कि जबकि गरीब वर्ग से जी.एस.टी. अधिक लिया जा रहा है, वहीं बड़ी कंपनियों को कॉर्पोरेट टैक्स में वार्षिक रूप से 2 लाख करोड़ रुपये की छूट दी जा रही है। यह असमानता को और बढ़ाती है, और इससे यह सवाल उठता है कि कॉर्पोरेट टैक्स में छूट क्यों दी जाती है जबकि गरीबों से अतिरिक्त टैक्स लिया जा रहा है।
- स्वास्थ्य सुरक्षा और जी.एस.टी.: सिंह ने स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए नागरिकों द्वारा खरीदी गई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी पर 18% जी.एस.टी. लगाने को भी गलत ठहराया। उनका कहना था कि यह एक आवश्यक सेवा है, और इस पर टैक्स लगाना अनुचित है।
- जी.एस.टी. की दरों का सरलीकरण और टैक्स चोरी पर ध्यान: सिंह ने सरकार से जी.एस.टी. की दरों को सरल बनाने की अपील की और यह सुझाव दिया कि टैक्स चोरी को रोकने पर ध्यान केंद्रित किया जाए। उनका कहना था कि यदि सरकार जी.एस.टी. की चोरी को रोकने में सफल रहती है, तो राजस्व बढ़ सकता है और इसके परिणामस्वरूप जी.एस.टी. दरों को घटाया जा सकता है।

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी पत्रकार वार्ता को किया संबोधित
1. जी.एस.टी. का गरीबों और मध्यम वर्ग पर असर:
वक्तव्य में यह स्पष्ट किया गया है कि जी.एस.टी. गरीबों और मध्यम वर्ग पर अत्यधिक प्रभाव डालता है, क्योंकि जी.एस.टी उपभोग आधारित कर है। गरीब और निम्न मध्यवर्गीय परिवार अपनी आय का अधिकांश हिस्सा उपभोग पर खर्च करते हैं, जबकि अमीरों का बड़ा हिस्सा बचत के रूप में रहता है। इस वजह से जी.एस.टी. का भार गरीबों पर अधिक पड़ता है। उदाहरण के रूप में, 2021-22 में जी.एस.टी. संग्रह का 64% हिस्सा निचले 50% जनसंख्या से आया, जबकि शीर्ष 10% से केवल 3% जी.एस.टी. संग्रह हुआ।
2. जी.एस.टी. की जटिलता और भ्रष्टाचार:
जी.एस.टी. की दरें इतनी जटिल हैं कि यह आम जनता और छोटे व्यापारियों के लिए समझना मुश्किल हो गया है। वक्तव्य में यह भी कहा गया है कि वर्तमान में नौ अलग-अलग जी.एस.टी. दरें प्रचलित हैं और विभिन्न उत्पादों पर उपकर (सेस) की दरें मिलाकर कुल 50 से अधिक दरें बन जाती हैं। यह जटिलता व्यापारियों के लिए अत्यधिक कठिनाई का कारण बनती है। उदाहरण के रूप में, वित्त मंत्री ने पॉपकॉर्न जैसे सामान्य उत्पादों पर तीन अलग-अलग दरें (5%, 12%, और 18%) लागू करने का निर्णय लिया, जिसे पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने “राष्ट्रीय त्रासदी” बताया। इस जटिलता ने न केवल व्यापारियों को परेशान किया है, बल्कि कर चोरी को बढ़ावा भी दिया है।
इसके अलावा, जी.एस.टी. चोरी की व्यापकता का भी उल्लेख किया गया है। 2023-24 में जी.एस.टी. चोरी के आंकड़े और इनपुट टैक्स क्रेडिट धोखाधड़ी की समस्याएं प्रमुख मुद्दे हैं। कर चोरी की दर बहुत अधिक है, लेकिन इसका सुधार बहुत कम हुआ है, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है।
3. वित्तीय असमानता और अमीरों के लिए टैक्स में राहत:
वक्तव्य में यह भी आरोप लगाया गया है कि मोदी सरकार ने अमीरों के लिए टैक्स में छूट दी है, जबकि गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए कर बढ़ाए हैं। उदाहरण के तौर पर, 2019 में “रेवड़ी” के रूप में अमीरों को टैक्स राहत दी गई। इस वित्तीय असमानता का आरोप सरकार पर यह लगाया गया है कि वह अमीरों की ओर से काम कर रही है और उन्हें टैक्स में छूट दे रही है, जबकि गरीबों से अधिक टैक्स वसूला जा रहा है।
मध्य प्रदेश विधानसभा में नेताप्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने हाल ही में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक, उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे, राजीव सिंह, पूर्व कानून मंत्री पी.सी. शर्मा, और मधु भगत सहित अन्य कांग्रेस नेता भी उपस्थित थे।
पत्रकार वार्ता के दौरान उमंग सिंघार और अन्य नेताओं ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के विचारों और मुद्दों पर चर्चा की। इन नेताओं ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए और राज्य के विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस पार्टी की स्थिति को स्पष्ट किया।
{दी भारत 24 न्यूज़ भोपाल }
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