
भोपाल: मध्य प्रदेश राज्य तिलहन संघ से प्रतिनियुक्ति पर आए कर्मचारियों को पांचवे वेतनमान के लाभ और नुकसान की भरपाई को लेकर अब लंबी लड़ाई के बाद न्याय मिलने की उम्मीद जग गई है। 8 जनवरी को नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के निज सचिव बेन्नी पी. एम. द्वारा दायर की गई याचिका पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच ने वाणिज्यिक कर कमिश्नर को 4 हफ्ते में आदेश का पालन करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 11 फरवरी 2025 को होगी, जिससे कर्मचारियों को वेतनमान के लाभ के मामले में जल्द राहत मिलने की संभावना बन रही है।
मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष के निजी सचिव की याचिका पर जबलपुर हाईकोर्ट की बेंच ने निर्देश दिए हैं। यह याचिका 2016 में दायर की गई थी, और यह मामला सेवानिवृत्त कर्मचारी से संबंधित है, जो अब भी अपने केस को लड़ रहा है। यह याचिका उनके सेवानिवृत्ति के बाद से संबंधित मुद्दों को लेकर दायर की गई थी, और कोर्ट ने इस पर अब नए निर्देश जारी किए हैं। यह दर्शाता है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने याचिका के पक्ष में सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया है, भले ही वह व्यक्ति सेवानिवृत्त हो चुका है।
कोर्ट ने क्या कहा:
माननीय हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने पिछली सुनवाई में प्रमुख सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग को वीडियो कांफ्रेंसिंग (वीसी) के जरिए हाजिर रहने के निर्देश दिए थे। 8 जनवरी को इस मामले की सुनवाई में एस. धनराजू, कमिश्नर वाणिज्यिक कर, इंदौर हाईकोर्ट के समक्ष हाजिर हुए। उन्होंने कोर्ट से 4 महीने का समय मांगा, लेकिन कोर्ट ने यह अनुरोध अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने आदेश दिया कि 4 सप्ताह के भीतर पांचवे वेतनमान का लाभ कर्मचारियों को प्रदान किया जाए। यदि ऐसा नहीं होता है, तो अगली सुनवाई 11 फरवरी 2025 को कमिश्नर वाणिज्यिक कर को फिर से कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया गया है।
क्या है पूरा मामला:
बेन्नी पीएम की स्थिति मध्यप्रदेश राज्य तिलहन संघ से जुड़ी एक जटिल और लंबी प्रक्रिया का हिस्सा रही है। उन्हें 1983 में मध्यप्रदेश राज्य तिलहन संघ में सुपरवाइजर के पद पर नियुक्ति मिली थी, लेकिन जब संघ का परिसमापन हो गया, तो उन्हें 2000 में सामान्य प्रशासन विभाग में प्रतिनियुक्ति दी गई। इसके बाद 2000 से 2016 तक उन्हें अलग-अलग प्रतिनियुक्तियों पर मध्यप्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्षों के साथ अटैच किया गया, इस दौरान उन्हें चौथे वेतनमान का लाभ मिल रहा था।
फिर, 2016 में बेन्नी पीएम का तिलहन संघ से वाणिज्यिक कर विभाग में संविलियन कर लिया गया, और वे सीधे चौथे वेतनमान से छठे वेतनमान में शामिल हो गए। इसके बावजूद, उन्हें पांचवे वेतनमान का लाभ नहीं मिला, जिसके कारण उन्हें प्रतिमाह लगभग 6000 रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। इस मुद्दे पर न्याय के लिए उन्होंने याचिका दायर की, और अब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस मामले में आदेश पालन करने के निर्देश दिए हैं।
मामले की हाईकोर्ट प्रतिलिपि :-



सेवानिवृत्त होने के बाद भी लड़ रहे हैं केस:
बेन्नी पीएम ने 2016 में पांचवे वेतनमान का लाभ न मिलने और इससे हुए नुकसान की भरपाई के लिए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस दौरान, 2022 में वह सेवानिवृत्त हो गए। हालांकि, वे फिलहाल मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के निज सचिव के रूप में संविदा नियुक्ति पर कार्यरत हैं।
बेन्नी पीएम का कहना है कि माननीय हाई कोर्ट के हालिया आदेश के बाद उन्हें उम्मीद है कि अब उन्हें पांचवे वेतनमान का लाभ मिल सकेगा। उन्होंने यह भी बताया कि सेवानिवृत्त होने के बाद भी उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी थी और कोर्ट के माध्यम से लगातार अपनी लड़ाई जारी रखी। यह आदेश उनके लिए राहत की उम्मीद लेकर आया है, जिससे उनका नुकसान कम हो सकता है और उन्हें न्याय मिल सकता है।
दी भारत 24 न्यूज़ भोपाल
Discover more from The Bharat 24 News
Subscribe to get the latest posts sent to your email.