भोपाल:-

सौरभ शर्मा के ठिकानों पर 9 दिन में तीन जांच एजेंसियों ने छापा मारा था।
मध्य प्रदेश के करोड़पति पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा ने सोमवार को भोपाल की स्पेशल कोर्ट में सरेंडर कर दिया। 19 दिसंबर 2024 को लोकायुक्त की टीम ने उसकी कार से 11 करोड़ रुपए कैश और 52 किलोग्राम सोना समेत अन्य प्रॉपर्टी जब्त की थी। सौरभ तभी से फरार था।
सौरभ शर्मा का कोर्ट में सरेंडर करना निश्चित ही जांच एजेंसियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। 19 दिसंबर 2024 को उसके खिलाफ छापेमारी के बाद दुबई में होने की जानकारी सामने आई थी, और इससे साफ होता है कि उसने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए विदेश में भी छिपने की कोशिश की थी। लेकिन अब वह आखिरकार वापस आकर कानून का सामना कर रहा है।
इस मामले में लोकायुक्त की टीम का काम सराहनीय है, क्योंकि उन्होंने न सिर्फ सौरभ की संपत्ति का खुलासा किया, बल्कि उसके फरार होने के बावजूद उसे पकड़ने में सफलता पाई। अब यह देखना होगा कि कोर्ट में आगे इस मामले में क्या फैसला लिया जाता है और इस तरह के मामलों में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ किस तरह की कार्रवाई की जाती है।
9 दिन तीन एजेंसियों ने मारे थे छापे
भोपाल में आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के यहां 9 दिन में तीन एजेंसियां ED, लोकायुक्त और आयकर विभाग ने छापे मारे थे। कार्रवाई के दौरान उसके पास 93 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति का मिलना यह दिखाता है कि सौरभ शर्मा ने भ्रष्टाचार के जरिए अपनी संपत्ति बनाई थी। आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल होने के नाते, उसकी जिम्मेदारी और भी ज्यादा बढ़ जाती थी कि वह ईमानदारी से काम करे, लेकिन इस मामले ने यह साबित कर दिया कि सिस्टम में ही गड़बड़ी थी।
इन तीन बड़ी एजेंसियों — ED, लोकायुक्त और आयकर विभाग — ने एक साथ कार्रवाई करके यह स्पष्ट कर दिया कि अब भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये नकद की खोज यह बताती है कि वह किस हद तक अवैध तरीके से संपत्ति अर्जित कर चुका था।
ED द्वारा सौरभ शर्मा और उसके सहयोगियों पर की गई छापेमारी से यह साफ हो गया है कि उसने न सिर्फ खुद भ्रष्टाचार किया, बल्कि अपने परिजनों और दोस्तों को भी इसमें शामिल किया। 4 करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस और 23 करोड़ की संपत्ति भी जांच के दायरे में होना यह साबित करता है कि उसने पूरे नेटवर्क को इस तरह के अवैध धंधे में शामिल किया था।

कार से 52 kg सोना, 11 करोड़ कैश मिला था
यह इस बात का संकेत भी है कि कैसे कुछ लोग कानून और सिस्टम के भीतर रहते हुए उसका गलत फायदा उठाते हैं। अब इस जांच में यह देखना होगा कि क्या सौरभ और उसके साथियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होती है, ताकि भ्रष्टाचार और अवैध संपत्ति के मामलों में एक मिसाल स्थापित हो सके।
जबलपुर, ग्वालियर और भोपाल में की गई जांच में 6 करोड़ रुपये की एफडी (फिक्स्ड डिपॉजिट) का मिलना, साथ ही फर्मों और कंपनियों के जरिए किए गए निवेश का खुलासा होना, यह साबित करता है कि सौरभ शर्मा और उसके सहयोगियों ने एक व्यापक नेटवर्क के तहत अपनी अवैध संपत्ति को छिपाने की कोशिश की थी।
ऐसा लगता है कि उसने न सिर्फ खुद को बल्कि दूसरों को भी इस भ्रष्टाचार के जाल में फंसाया और कई अलग-अलग तरीके से अपनी संपत्ति को छिपाने का प्रयास किया। इसके जरिए वह अपनी अकूत संपत्ति को वैध दिखाने की कोशिश कर रहा था।
अब सवाल यह उठता है कि इन जांचों के दौरान जो भी नए तथ्य सामने आए हैं, क्या इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ और भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी? और क्या इस तरह के मामलों में सभी लोगों को पूरी तरह से जवाबदेह ठहराया जाएगा, खासकर जब वे एक संगठित तरीके से गलत काम करते हैं?
दी भारत 24 न्यूज़ भोपाल
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