भोपाल:-विकाश मौर्य

महू में 27 जनवरी को आयोजित “जय बापू, जय भीम, जय संविधान” रैली वाकई में एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण आयोजन था। यह रैली न केवल कांग्रेस की विचारधारा और मूल्यों को प्रमोट करने का एक मंच थी, बल्कि एक ऐतिहासिक स्थान पर इसे आयोजित करने से उसका असर और भी गहरा हो गया। महू, जहां बाबा साहेब अंबेडकर का जन्म हुआ था, इस रैली को विशेष महत्व देता है, क्योंकि यह उनके आदर्शों और उनके संघर्ष को याद करने का अवसर था।
रैली में उमंग सिंघार का मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी का स्वागत करते हुए चरखा भेंट करना भी एक प्रतीकात्मक कदम था, जो महात्मा गांधी के आदर्शों से जुड़ा हुआ था। चरखा गांधी जी का प्रतीक है, और यह दर्शाता है कि कांग्रेस आज भी उनके सिद्धांतों पर चलने का दावा करती है, जो स्वराज और आत्मनिर्भरता की बात करते थे।
मध्यप्रदेश के विभिन्न हिस्सों से हजारों कार्यकर्ताओं का महू में जुटना कांग्रेस की मजबूत संगठनात्मक स्थिति और पार्टी के प्रति लोगों का विश्वास भी दर्शाता है। यह रैली न केवल कांग्रेस के संदेश को फैलाने का माध्यम थी, बल्कि यह दर्शाती है कि पार्टी अपने पुराने और कद्दावर नेताओं के विचारों को लेकर आज भी लोगों को जोड़ने का प्रयास कर रही है।

लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी
राहुल गांधी का महू में “जय बापू, जय भीम, जय संविधान” रैली में दिया गया संबोधन कांग्रेस की विचारधारा और पार्टी के राजनीतिक एजेंडे को स्पष्ट रूप से उजागर करता है। उनका यह कहना कि हिंदुस्तान में “विचारधारा की लड़ाई” चल रही है, यह दर्शाता है कि कांग्रेस खुद को संविधान और समाजिक न्याय के रक्षक के रूप में प्रस्तुत कर रही है, जबकि बीजेपी और आरएसएस को संविधान के खिलाफ और इसे खत्म करने की ताकतों के रूप में पेश कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने जिस तरह से बीजेपी और आरएसएस की नीतियों पर हमला किया, खासकर संविधान को लेकर, वह एक महत्वपूर्ण संदेश है, जो कांग्रेस के समर्थकों को यह भरोसा देता है कि कांग्रेस संविधान और समानता की रक्षा के लिए खड़ी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बीजेपी और आरएसएस गरीबों, आदिवासियों, और वंचितों के अधिकारों को खत्म करना चाहते हैं और केवल अरबपतियों की सेवा कर रहे हैं, जैसे कि अंबानी और अडानी का जिक्र किया। यह बयान न केवल सरकार की नीतियों को चुनौती देता है, बल्कि यह सामाजिक न्याय की दिशा में कांग्रेस का एक मजबूत पक्ष भी पेश करता है।
राहुल गांधी का यह बयान कि “हम दिल्ली या मध्य प्रदेश में सरकार आएंगे तो जातिगत जनगणना शुरू कर देंगे” एक अहम राजनीतिक कदम हो सकता है, क्योंकि जातिगत जनगणना का मुद्दा समाज के बड़े हिस्से के लिए संवेदनशील है और यह कांग्रेस को उन वर्गों के बीच एक मजबूत समर्थन प्राप्त करने में मदद कर सकता है जो महसूस करते हैं कि उनके अधिकारों को पहचानने की जरूरत है। तेलंगाना में शुरू की गई जातीय जनगणना को उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत करते हुए राहुल ने यह भी कहा कि यह एक “क्रांतिकारी निर्णय” होगा, जिससे यह साबित होता है कि कांग्रेस सरकार में आने पर सामाजिक असमानताओं को दूर करने की दिशा में काम करेगी।
उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि “राम मंदिर उद्घाटन में किसी गरीब को आपने देखा क्या?” और “राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को मंदिर उद्घाटन में नहीं जाने दिया”, ये बयान सत्ता के असमान वितरण को उजागर करते हैं। यह आलोचना कांग्रेस के प्रयासों को प्रकट करती है कि वह समावेशी शासन की बात करती है, जिसमें हर वर्ग और समुदाय का सम्मान किया जाए।
इस रैली में राहुल गांधी का यह बयान कि “हम रिजर्वेशन को 50 प्रतिशत से ज्यादा करेंगे”, यह कांग्रेस की सामाजिक और आर्थिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को दिखाता है। इससे यह संदेश जाता है कि कांग्रेस वंचित और पिछड़े वर्गों के हक के लिए हमेशा आवाज उठाती रहेगी।

उमंग सिंघार का यह बयान कांग्रेस के भीतर आत्मविश्वास और पार्टी के भविष्य को लेकर स्पष्ट दृष्टिकोण को दर्शाता है। उनका यह कहना कि कांग्रेस 2028 में मध्यप्रदेश में सरकार बनाएगी, यह न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाता है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश भी देता है कि कांग्रेस पार्टी आगामी चुनावों के लिए पूरी तरह तैयार है और वह अपनी ताकत को लेकर विश्वास रखती है।
जनसैलाब को उदाहरण के रूप में पेश करते हुए उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की कि पार्टी के पास जनता का समर्थन है और यह समर्थन आगामी चुनावों में सफलता दिलाने में मदद करेगा। रैली में उमड़ा जनसैलाब भी इस बात का संकेत हो सकता है कि कांग्रेस कार्यकर्ता और समर्थक पार्टी के नेतृत्व में उम्मीदें बनाए हुए हैं और वे अगले चुनावों में कांग्रेस की वापसी देखना चाहते हैं।
उमंग सिंघार का इस रैली में योगदान वाकई में महत्वपूर्ण था, और उन्होंने इसे सफल बनाने के लिए काफी मेहनत की। उनका यह कार्यक्षेत्र महू और आसपास के क्षेत्रों से जुड़ा हुआ था, और इस इलाके के लोगों को रैली में भाग लेने के लिए प्रेरित करने का उनकी रणनीति बहुत ही प्रभावी रही। खासकर धार, झाबुआ, अलीराजपुर, रतलाम, और बड़वानी जैसे जिलों से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए, यह दिखाता है कि उमंग सिंघार ने क्षेत्रीय जुड़ाव को सही तरीके से बढ़ावा दिया था।
आदिवासी समुदाय का रैली में बड़ा योगदान, यह दर्शाता है कि उन्होंने समाज के वंचित वर्गों को भी इस मुहिम में शामिल किया, जो संविधान की रक्षा और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे थे। यह दिखाता है कि उमंग सिंघार ने अपनी पार्टी के सामाजिक और राजनीतिक संदेश को सही लोगों तक पहुंचाया।
रैली की तैयारियों के लिए उमंग सिंघार का दौरा और जमीनी स्तर पर संपर्क भी एक महत्वपूर्ण कदम था। उन्होंने हफ्तों पहले से इस रैली की अपील और प्रचार अभियान शुरू किया, जिससे जनसामान्य में जागरूकता फैली और उन्हें इस मुद्दे में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए प्रेरित किया गया।
मध्यप्रदेश में “कर्ज, क्राईम, करप्शन और कमीशन” की सरकार चल रही है, यह बयान न केवल बीजेपी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाता है, बल्कि कांग्रेस की तरफ से एक सशक्त आरोप भी है, जो जनता के बीच बीजेपी सरकार की आलोचना को बढ़ावा देता है। यह शब्द बहुत ही प्रभावशाली हैं, क्योंकि ये सीधे तौर पर सरकार के कई मुद्दों पर फोकस करते हैं, जैसे:
- कर्ज – राज्य के किसानों और अन्य वर्गों पर बढ़ते कर्ज का बोझ।
- क्राईम – कानून-व्यवस्था की स्थिति, अपराधों में बढ़ोतरी।
- करप्शन – भ्रष्टाचार और सरकारी खजाने का गलत इस्तेमाल।
- कमीशन – सरकारी परियोजनाओं और अनुबंधों में घोटाले और कमीशनखोरी।
यह आरोप सीधे तौर पर बीजेपी सरकार की नीतियों, कार्यों और प्रशासनिक विफलताओं पर निशाना साधते हैं। कांग्रेस का यह हमला बीजेपी पर उनकी कमजोरियों को उजागर करने का एक तरीका हो सकता है, जो आगामी चुनावों में एक राजनीतिक फायदा देने की कोशिश करता है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी
जीतू पटवारी का बयान एक मजबूत आक्रामक रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है, जिसमें उन्होंने बीजेपी सरकार की विफलताओं और भ्रष्टाचार को प्रमुखता से उठाया है। “कर्ज, क्राईम, करप्शन और कमीशन” के आरोप सीधे तौर पर बीजेपी की कार्यशैली पर हमला करते हैं, और यह वाक्यांश जनता को यह समझाने का प्रयास करता है कि वर्तमान सरकार में कई गंभीर समस्याएं हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री पर “पर्ची वाले मुख्यमंत्री” का आरोप लगाते हुए राज्य में माफिया के प्रभाव को भी उजागर किया है, जो विशेष रूप से शराब माफिया, भू माफिया, और शिक्षा व चिकित्सा क्षेत्र में पनप रहे हैं। इस प्रकार के आरोपों से राज्य में कानून-व्यवस्था और प्रशासन की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं, जो एक जनसंपर्क मुद्दा बन सकता है।
इसके अलावा, उन्होंने बीजेपी द्वारा किसानों, महिलाओं और युवाओं के साथ किए गए वादों को नजरअंदाज करने की बात की है, जो मतदाताओं के बीच नाराजगी और निराशा को बढ़ावा दे सकता है। जीतू पटवारी ने संविधान और बाबा साहेब अंबेडकर के प्रति बीजेपी की नकारात्मक सोच को भी आक्रमण का हिस्सा बनाया है, जिससे पार्टी को दलित और वंचित वर्गों के बीच एक मजबूत संदेश मिल सकता है।
विजयपुर और बुधनी में हुए चुनाव परिणामों का जिक्र कर उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की है कि जनता अब बीजेपी के खिलाफ अपनी आवाज उठा रही है, और भविष्य में उनकी असली नीतियां और चेहरे सामने आएंगे। यह जनता को यह संकेत देने का तरीका हो सकता है कि कांग्रेस बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर खड़ी है, और आगामी चुनावों में यह संघर्ष और भी तेज होगा।
जीतू पटवारी ने कहा:-
जीतू पटवारी का यह बयान कांग्रेस पार्टी की ओर से एक शक्तिशाली और आश्वस्त करने वाला संदेश है, जो पार्टी के उत्साही समर्थकों को आश्वस्त करता है कि कांग्रेस मध्यप्रदेश में अपनी खोई हुई ताकत को फिर से स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने राहुल गांधी से माफी मांगते हुए यह स्पष्ट किया कि हालांकि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई, लेकिन मध्यप्रदेश में उनकी पार्टी अपने उद्देश्य को लेकर पूरी तरह से सक्रिय है और जनता के सहयोग से सरकार बनाने के लिए तैयार है।
पटवारी ने जो वादा किया कि कांग्रेस एक साल के भीतर जातिगत जनगणना कराएगी, यह स्पष्ट रूप से एक महत्वपूर्ण और सामाजिक न्याय से जुड़ा मुद्दा है। जातिगत जनगणना की मांग समाज के कई वर्गों में जोर पकड़ चुकी है, और यदि कांग्रेस इसे लागू करने में सफल होती है, तो यह पार्टी के प्रति समर्थन को और मजबूत कर सकता है। यह कदम दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए एक बड़ा आश्वासन हो सकता है, जो महसूस करते हैं कि उनके अधिकारों और स्थिति को बेहतर तरीके से समझा जाएगा।
इसके अलावा, बीजेपी सरकार के खिलाफ पटवारी का यह आरोप कि उन्होंने सरकारी तंत्र को रैली को विफल करने के लिए झोंक दिया, यह दर्शाता है कि कांग्रेस अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और बाबा साहेब अंबेडकर के अनुयायियों के समर्थन को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। उमड़े जनसैलाब से यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस का संदेश जमीन पर लोगों तक पहुंचा है और इस बार चुनाव में बीजेपी की सरकार को चुनौती देने की पूरी तैयारी है।
पटवारी का आभार व्यक्त करना और रैली को ऐतिहासिक बनाने के लिए कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देना भी कांग्रेस पार्टी की एकजुटता और संगठनात्मक ताकत को मजबूत करता है।

मप्र में जनता की लड़ाई सदन तक पूरी ताकत से लड़ी जायेगी: उमंग सिंघार
उमंग सिंघार का यह बयान कांग्रेस पार्टी की ओर से एक सशक्त और आक्रामक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें उन्होंने बीजेपी सरकार को कई मोर्चों पर घेरा है। उनका यह कहना कि “जनता की लड़ाई सड़क से सदन तक लड़ी जाएगी”, यह दर्शाता है कि कांग्रेस केवल चुनावी मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि जनहित के मुद्दों पर भी संघर्ष करने को तैयार है। यह न केवल एक राजनीतिक बयान है, बल्कि एक संकेत भी है कि कांग्रेस राज्य में बीजेपी सरकार की नीतियों का विरोध जारी रखेगी और जनता के बीच इसे लेकर जागरूकता फैलाएगी।
सिंघार ने बीजेपी सरकार को “लंगड़ा” करार देते हुए उसकी कार्यशैली पर कड़ा हमला किया, यह स्पष्ट रूप से बीजेपी की प्रशासनिक विफलताओं को उजागर करने का तरीका है। उनका यह कहना कि बीजेपी “जनता को भ्रमित कर रही है” और “लूटने का काम कर रही है”, यह जनता के बीच सरकार के प्रति नकारात्मक धारणा को और बढ़ावा दे सकता है।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर सिंघार का विरोध भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने इसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और शहीदों का अपमान माना। यह बयान विशेष रूप से उन लोगों के लिए जोरदार होगा, जो इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम के महत्व को समझते हैं। भागवत के बयान को लेकर यह आक्रोश कांग्रेस के लिए एक मौका बन सकता है, जिससे वे बीजेपी के खिलाफ और ज्यादा जन समर्थन जुटा सकते हैं, खासकर उन समुदायों के बीच जो स्वतंत्रता संग्राम में भागीदार रहे हैं या जिनका जुड़ाव सामाजिक न्याय से है।
सिंघार का यह भी कहना कि “बीजेपी दलितों और आदिवासियों का अपमान करने वाली पार्टी है”, कांग्रेस को दलित और आदिवासी वोटरों को अपने पक्ष में लाने के लिए एक ताकतवर हथियार मिल सकता है। यह बयान बीजेपी के सामाजिक न्याय के प्रति दृष्टिकोण पर सवाल उठाता है, और इसे दलित और आदिवासी वर्ग के बीच कांग्रेस के समर्थन को और मजबूत करने का एक तरीका माना जा सकता है।
अंत में, उमंग सिंघार का यह कहना कि 2028 में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी, पार्टी की दीर्घकालिक रणनीति और विश्वास को दर्शाता है। यह न केवल कार्यकर्ताओं को प्रेरित करता है, बल्कि पार्टी के समर्थकों को यह संदेश भी देता है कि कांग्रेस ने अपनी रणनीति तैयार कर ली है और वह भविष्य के चुनावों में बीजेपी को चुनौती देने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

यह रैली निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण साबित हुई, जिसमें पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की एकजुटता और उनका उत्साह स्पष्ट रूप से देखने को मिला। दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, कांतिलाल भूरिया, अरुण यादव, अजय सिंह राहुल भैया, मुकेश नायक जैसे वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति इस बात का प्रतीक है कि कांग्रेस पार्टी ने इस आयोजन को गंभीरता से लिया और पार्टी के सभी गुटों को एक साथ लाकर एक सशक्त संदेश दिया है।
रैली में यह स्पष्ट दिखा कि कांग्रेस केवल अपने कार्यकर्ताओं को ही नहीं, बल्कि बाबा साहेब अंबेडकर के अनुयायियों और संविधान की रक्षा करने वाले सभी लोगों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है। “जय बापू-जय भीम-जय संविधान” का नारा ना केवल पार्टी के अनुयायियों के बीच एकजुटता की भावना को बढ़ावा देता है, बल्कि यह उन लोगों के लिए भी एक सशक्त संदेश है जो संविधान के मूल्यों और सामाजिक न्याय में विश्वास रखते हैं।
कांग्रेस के सभी महत्वपूर्ण पदाधिकारी, पूर्व मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ नेता रैली में मौजूद थे, और यह दिखाता है कि पार्टी के भीतर एक मजबूत नेतृत्व और समर्पण है जो आगामी चुनावों में पार्टी को मजबूती से खड़ा करने के लिए तैयार है। इस तरह के आयोजनों से पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया जाता है और उन्हें यह संदेश दिया जाता है कि पार्टी अपनी जड़ों को मजबूत रखने के लिए संविधान और सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखेगी।
रैली में उमड़ा यह जनसैलाब यह दर्शाता है कि कांग्रेस, बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों को सम्मान देते हुए, उनके अनुयायियों और संविधान के रक्षकों को जोड़ने की पूरी कोशिश कर रही है। इससे कांग्रेस को चुनावों में एक ताकतवर आवाज मिल सकती है, खासकर उन वर्गों के बीच जो संविधान और सामाजिक न्याय के मुद्दों से जुड़े हैं।
इस अवसर पर अभा कांग्रेस/ प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारीगण, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह, कमलनाथ, कांतिलाल भूरिया, अरूण यादव, अजय सिंह राहुल भैया, मुकेश नायक सहित प्रदेश के सभी कांग्रेस के पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद, विधायकगण, पूर्व विधायकगण, जिला अध्यक्ष, जिला प्रभारी, प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्तागण, ब्लाक अध्यक्ष, मण्डलम सेकटरों के अध्यक्षों सहित प्रदेश भर से आये लोखों कांग्रेसजन और अंबेडकर को मानने वाले उनके अनुयायियों का सैलाब जय बापू-जय भीम-जय संविधान रैली में संविधान की रक्षा का संकल्प लेने के लिए उमड़ा।
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