
महाकुंभ के दौरान प्रयागराज के संगम तट पर हुई भगदड़ में 20 से ज्यादा लोगों की मौत एक बहुत ही दुखद और शर्मनाक घटना है। इस तरह के धार्मिक आयोजन में सुरक्षा व्यवस्था और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना बेहद जरूरी होता है। 9 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु इस मौके पर जमा हुए थे, और एक साथ इतनी बड़ी संख्या में लोगों का इकट्ठा होना बहुत बड़ी चुनौती होती है।
रात के अंधेरे में भगदड़ मचने से लोगों की जान जाना और इतने सारे लोग घायल होना, सचमुच एक भारी त्रासदी है। मेला क्षेत्र में भीड़ और व्यवस्थाओं के बीच ऐसी घटनाएं बहुत दुखद होती हैं, और यह प्रशासन के लिए एक गंभीर चैलेंज होता है कि वे इन घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाएंगे।
14 शव पहले मेडिकल कॉलेज में पोस्टमॉर्टम के लिए भेजे गए और बाद में और शव एंबुलेंस के जरिए मेला क्षेत्र से लाए गए, यह दिखाता है कि स्थिति कितनी गंभीर थी। घायलों का इलाज भी जरूरी है, और उम्मीद है कि सभी घायल जल्दी ठीक हो जाएं।
प्रशासन की तरफ से इतनी देर तक कोई आधिकारिक जानकारी न मिलना सचमुच निराशाजनक है, खासकर जब इतनी बड़ी संख्या में जानें गई हैं और लोग घायल हुए हैं। ऐसे में सही समय पर सूचना देना और स्थिति को स्पष्ट करना बेहद ज़रूरी होता है ताकि लोग सही निर्णय ले सकें और राहत कार्य जल्दी शुरू हो सके।
पीएम मोदी ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना जताई है, जो मानवीय दृष्टिकोण से ठीक है। वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ की अपील भी बहुत महत्वपूर्ण है कि श्रद्धालु संयम बरतें और मेला क्षेत्र से बाहर स्नान करें, ताकि भीड़ का दबाव कम हो सके। इस तरह के हादसों से बचने के लिए प्रशासन को भविष्य में और सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल और व्यवस्थाएं सुनिश्चित करनी चाहिए, खासकर ऐसे बड़े आयोजनों में।

लोग लाशों के बीच अपनों को तलाशते दिखाई दिए।
भगदड़ की 2 प्रमुख वजहें
- अमृत स्नान की वजह से ज्यादातर पांटून पुल बंद थे। इसके कारण संगम पर पहुंचने वाली करोड़ों की भीड़ इकट्ठा होती चली गई। जिससे बैरिकेड्स में फंसकर कुछ लोग गिर गए। यह देखकर भगदड़ की अफवाह फैल गई।
- संगम नोज पर एंट्री और एग्जिट के रास्ते अलग-अलग नहीं थे। लोग जिस रास्ते से आ रहे थे, उसी रास्ते से वापस जा रहे थे। ऐसे में जब भगदड़ मची तो लोगों को भागने का मौका नहीं मिला। वे एक-दूसरे के ऊपर गिरते गए।
हादसे के बाद प्रशासन ने जो त्वरित कदम उठाए, जैसे 70 से ज्यादा एंबुलेंस का तैनात करना और NSG कमांडो को सुरक्षा में लगाना, वह स्थिति को काबू में लाने के लिए जरूरी थे। संगम तट पर आपातकालीन सेवाओं का सक्रिय होना और घायलों को अस्पताल ले जाना, यह राहत कार्यों में महत्वपूर्ण था।
संगम नोज इलाके में आम लोगों की एंट्री बंद करना और प्रयागराज के आस-पास के जिलों से श्रद्धालुओं को रोकना एक जरूरी कदम था, ताकि स्थिति और न बिगड़े और लोगों को और ज्यादा खतरे में न डाला जाए। प्रशासन का अलर्ट पर रहना और इन उपायों को लागू करना दिखाता है कि सुरक्षा व्यवस्था में सुधार के बाद नियंत्रण लाया जा सकता है।

भगदड़ वाली जगह से भीड़ हटी तो इस कदर दबे-कुचले लोग दिखाई दिए।
मौनी अमावस्या का स्नान महाकुंभ का सबसे महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक अवसर होता है, जब करोड़ों श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए जुटते हैं। 9 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं का इस दिन शहर में होना, प्रशासन के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। इतना बड़ा जनसमूह एकत्र होने से सुरक्षा, भीड़ प्रबंधन और आपातकालीन सेवाओं की व्यवस्था पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है।
अगर 44 घाटों पर 8 से 10 करोड़ लोग स्नान करने के लिए जुटने का अनुमान है, तो प्रशासन को और भी कड़ी तैयारी करनी होगी। यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी होगा कि हर घाट पर सुरक्षा और चिकित्सा सेवाएं आसानी से उपलब्ध हों, साथ ही भारी भीड़ को संभालने के लिए पर्याप्त पुलिस और सुरक्षा बल तैनात हों। साथ ही, यातायात की स्थिति को नियंत्रित करने और किसी भी अप्रत्याशित घटना से निपटने के लिए पर्याप्त उपाय किए जाने चाहिए।

ये महाकुंभ के केंद्रीय अस्पताल की फोटो है। इसमें जमीन पर 11 लाशें नजर आ रही हैं।
साढ़े 5 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं का एक दिन पहले संगम में डुबकी लगाना, यह भी अपने आप में एक बहुत बड़ी संख्या है। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना, घेराबंदी करना और भीड़ को नियंत्रण में रखना प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी होती है। 60 हजार से ज्यादा जवानों का तैनात होना, यह दिखाता है कि प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए बड़े स्तर पर तैयारी की है, लेकिन इस तरह के आयोजनों में जब भी इतनी बड़ी संख्या में लोग जमा होते हैं, तो हर छोटी से छोटी घटना पर कड़ी नजर रखनी जरूरी होती है।
हालांकि, सुरक्षा बलों की संख्या काफी है, लेकिन इसके साथ-साथ ट्रैफिक और आवागमन की व्यवस्था, मेडिकल सहायता, और आपातकालीन सेवाओं का समुचित प्रबंधन भी उतना ही अहम है। इन सेवाओं को पहले से प्रभावी तरीके से सुनिश्चित करना होगा, ताकि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटा जा सके।
प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़: गोरखपुर के दो लोगों की मौत

प्रयागराज में मौनी अमावस्या के अवसर पर शाही स्नान के दौरान संगम क्षेत्र में भगदड़ मचने से कई लोगों की जान चली गई। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में गोरखपुर के भी दो लोगों की मौत हो गई है।
मृतकों का विवरण:
- नगीना देवी (62 वर्ष)
- पन्ने निषाद (58 वर्ष)
दोनों मृतक गोरखपुर के नं0 पं0, कस्बा संग्रामपुर उनवल के रहने वाले थे। इस घटना से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।
परिवार का इंतजार:
मृतकों के परिवार वाले अभी भी उनके शवों का इंतजार कर रहे हैं। वार्ड के सभासद ने गहरा शोक जताया है और हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया है।
सरकार की घोषणा:
सरकार ने पहले ही मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है।
द भारत 24 न्यूज़ भोपाल
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