भोपाल ;- विकाश मौर्य||

मध्यप्रदेश में प्राइवेट स्कूलों के मान्यता नियमों में बदलाव को लेकर स्कूल संचालकों का आंदोलन
मध्यप्रदेश में प्राइवेट स्कूलों के मान्यता नियमों में बदलाव को लेकर स्कूल संचालकों का आंदोलन लगातार जारी है। स्कूल संचालक अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में अब स्कूल संचालक 4 फरवरी को बीजेपी ऑफिस के सामने धरना प्रदर्शन करेंगे।
स्कूल संचालकों का कहना है कि उन्होंने अपनी मांगों को लेकर कई बार सरकार से गुहार लगाई है, लेकिन उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। इसलिए, अब वे धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हैं। स्कूल संचालकों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। उन्होंने अपनी मांगों को लेकर हर संभव प्रयास किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से लेकर शिक्षा मंत्री और अपने-अपने जिलों के विधायकों तक सभी से गुहार लगाई है। इसके अलावा, उन्होंने धरना प्रदर्शन भी किए हैं और 30 जनवरी को प्रदेश के स्कूल भी बंद किए गए थे। लेकिन, उनकी मांगों पर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है।
सरकार से इच्छा मृत्यु मांगेंगे
स्कूल संचालक अब मंगलवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन करेंगे। कोषाध्यक्ष मोनू तोमर ने कहा कि कुछ संचालक मुंडन करवाएंगे, तो कुछ सरकार से इच्छा मृत्यु मांगेंगे।
इधर, तारीख बढ़ाई, 7 फरवरी तक कर सकेंगे आवेदन
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने मान्यता में नियमों के बदलाव को लेकर 30 जनवरी को हड़ताल की। 31 जनवरी मान्यता के लिए आवेदन करने की आखिरी डेट थी। इस दिन करीब 2.5 हजार स्कूलों ने मान्यता के लिए आवेदन किया। इस तरह से प्रदेश में कुल 10 हजार से अधिक स्कूल मान्यता के लिए आवेदन 31 जनवरी तक कर चुके हैं।
दूसरी तरफ, विभाग ने मान्यता के लिए आवेदन करने की तिथि बढ़ा दी है। इसके लिए आदेश भी आरएसके ने जारी कर दिया है। मान्यता के लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख 31 जनवरी से बढ़ाकर 7 फरवरी कर दिया है। राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारियों की माने तो अंतिम तारीख बढ़ाई तो गई है। इसके लिए स्कूल 7 फरवरी तक आवेदन कर सकते हैं। वहीं, विलंब शुल्क के साथ वह 14 फरवरी तक भी आवेदन कर सकते हैं।
एसोसिएशन ने कहा- 18 हजार स्कूल बंद की कगार पर
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह का यह बयान बेहद चिंताजनक है। उनके अनुसार, राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा कक्षा पहली से आठवीं तक की मान्यता के नवीनीकरण में जो तानाशाही दिखाई जा रही है, वह मध्य प्रदेश के स्कूल संचालकों, शिक्षकों और कार्यरत कर्मचारियों के दमन का रास्ता है। उनका यह भी कहना है कि इसके चलते प्रदेश में 18 हजार से अधिक स्कूल बंद होने की कगार पर हैं।
स्कूल संचालकों का यह कहना बिल्कुल सही है कि कई स्कूल वर्षों से मान्यता प्राप्त कर संचालित हो रहे हैं। ऐसे में अचानक नए नियमों के तहत 30 से 40 हजार रुपए की सावधि जमा और रजिस्टर्ड किरायानामा की मांग करना उनके लिए अनुचित है।यह भी सही है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 निशुल्क शिक्षा की बात करता है। वहीं, इस तरह के शुल्क और नियमों से शिक्षा विभाग के लिए शिक्षा व्यवसाय बनता जा रहा है।
द भारत 24 न्यूज़ भोपाल
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