भोपाल :- विकाश मौर्य

तीन दिन पहले रहवासियों ने कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह से मुलाकात की थी।
भोपाल में सुभाषनगर ब्रिज की तीसरी लेन के निर्माण के लिए मोतीनगर बस्ती को तोड़ने की योजना फिलहाल अटकी हुई है।सुभाषनगर ब्रिज की तीसरी लेन के लिए मोतीनगर बस्ती के कुछ हिस्सों को तोड़ना जरूरी है। प्रशासन ने इसके लिए तैयारी भी कर ली थी, लेकिन पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध नहीं होने के कारण कार्रवाई शुरू नहीं हो पाई है। मोतीनगर बस्ती के रहवासी इस तोड़फोड़ का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें पहले पुनर्वासित किया जाना चाहिए और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए। कांग्रेस पार्टी भी रहवासियों के समर्थन में उतर आई है और सरकार से बस्ती को तोड़ने की योजना पर पुनर्विचार करने की मांग की है
प्रशासन का कहना है कि सुभाषनगर ब्रिज की तीसरी लेन का निर्माण आवश्यक है और बस्ती को तोड़ना जरूरी है। उन्होंने रहवासियों को पुनर्वास का आश्वासन दिया है, लेकिन उनकी चिंताओं का ठोस समाधान नहीं बताया है।
बता दें कि बस्ती को हटाने के लिए रहवासियों को 4 फरवरी तक का अल्टीमेटम दिया गया था। इसके बाद प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जानी थी। एमपी नगर एसडीएम एल.के. खरे ने बताया, कार्रवाई के लिए पुलिस बल की मांग की गई है, लेकिन दो दिन से मिल नहीं पाया है। इस वजह से कार्रवाई भी नहीं हो सकी है।
बस्ती में कुल 384 मकान
मोतीनगर बस्ती में कुल 384 मकान और 110 दुकानें हैं। सुभाषनगर ब्रिज की तीसरी लेन के निर्माण के लिए इन्हें हटाना जरूरी है। कार्रवाई की शुरुआत दुकानों को हटाने से होगी। नगर निगम, पुलिस और जिला प्रशासन संयुक्त रूप से कार्रवाई करेंगे। हालांकि, पुलिस बल की कमी के कारण कार्रवाई में देरी हो रही है। प्रशासन को जल्द से जल्द पुलिस बल की व्यवस्था करनी चाहिए और रहवासियों के साथ बातचीत करके उनकी समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए।
दुल्हन को लेकर कलेक्टोरेट पहुंच चुके कांग्रेसी
मोतीनगर बस्ती को हटाने का विरोध भी हो रहा है। कांग्रेस नेता मनोज शुक्ला ने एक दुल्हन को लेकर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के पास पहुंचकर रहवासियों की समस्याओं को सामने रखा। उन्होंने कहा कि बस्ती में कई ऐसे परिवार हैं जिनके घरों में शादियां हैं और बच्चों की परीक्षाएं भी नजदीक हैं। ऐसे में, यदि प्रशासन कार्रवाई करता है तो उनके सामने आर्थिक और नैतिक संकट खड़ा हो जाएगा। कई शादियां टालनी पड़ सकती हैं और बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो सकती है प्रशासन को चाहिए कि वह रहवासियों की समस्याओं पर ध्यान दे और उन्हें कुछ समय दे ताकि वे अपनी जरूरी जिम्मेदारियां निभा सकें। इसके साथ ही, बच्चों की परीक्षाओं को देखते हुए भी कोई उचित निर्णय लिया जाना चाहिए।
हालांकि, प्रशासन ने बच्चों की संख्या को लेकर सर्वे किया है, लेकिन इससे उनकी समस्याओं का पूरी तरह समाधान नहीं हो जाता है। प्रशासन को चाहिए कि वह रहवासियों के साथ बातचीत करे और उनकी समस्याओं को समझते हुए कोई रास्ता निकाले।
द भारत 24 न्यूज़ भोपाल
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