भोपाल :- विकाश मौर्य||

भोपाल: विध्यांचल भवन में लगी आग, कर्मचारियों ने 15 मिनट में बुझाई, राहत की सांस
भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार के तीसरे सबसे बड़े सरकारी दफ्तर विध्यांचल भवन में आग लगने से हड़कंप मच गया। राजधानी भोपाल के इस प्रमुख सरकारी दफ्तर में लगी आग से कर्मचारियों और अधिकारियों में दहशत फैल गई। यह घटना पिछले कुछ महीनों में सतपुड़ा और वल्लभ भवन में लगी आग जैसी ही स्थिति पैदा कर सकती थी, लेकिन कर्मचारियों की तत्परता से बड़े हादसे को टाल दिया गया।
आग का सामना करने के लिए कर्मचारियों ने तुरंत अपनी सक्रियता दिखाते हुए आग को बुझाने का काम शुरू किया। जानकारी के अनुसार, आग की शुरुआत विध्यांचल भवन के बेसमेंट से हुई, और धीरे-धीरे यह आग छठी मंजिल तक फैल गई। भवन के अंदर धुआं भरने लगा, जिससे कर्मचारियों के बीच खलबली मच गई।
इस बीच, कर्मचारियों ने 4 फायर एक्सटिंगविशर्स लेकर आग पर काबू पाना शुरू किया। साथ ही, पुलिस और नगर निगम को भी आग की सूचना दी गई, ताकि अगर आग अधिक भड़कती, तो उनका सहयोग मिल सके। गनीमत रही कि कर्मचारी आग को बेकाबू होने से पहले ही बुझा पाए। लगभग 10-15 मिनट में ही आग पर पूरी तरह से काबू पा लिया गया।
यह घटना उस समय हुई जब भवन में काफी संख्या में कुर्सियां और प्लॉयवुड से भरे 342 कॉर्टून रखे हुए थे। अगर थोड़ी सी भी चूक होती, तो इस घटना का रूप सतपुड़ा-वल्लभ भवन जैसी बड़े हादसे जैसा हो सकता था। हालांकि, कर्मचारियों की तत्परता और समय पर कार्रवाई से इस हादसे को टाल लिया गया और स्थिति नियंत्रण में आ गई।

“विध्यांचल भवन में 342 कार्टूनों में भरी कुर्सियां, आग पर समय रहते पाया काबू”
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित विध्यांचल भवन में शनिवार को आग लगने से हड़कंप मच गया। यह भवन विमुक्त, घुमक्कड़ और अर्द्धघुमक्कड़ जनजाति विकास, पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का प्रदेश स्तरीय दफ्तर है, जहां इन दिनों रिनोवेशन का काम चल रहा है। रिनोवेशन के दौरान, दूसरी मंजिल पर बड़ी मात्रा में कुर्सियाँ और प्लायवुड से भरे हुए कार्टून रखे गए थे, जो आग लगने के बाद तुरंत फैल सकते थे।
पुलिस फायर के एसआई बलजीत सिंह हुड्डा के अनुसार, दूसरी मंजिल के दो हिस्सों में कुर्सियों से भरे 180 और 80 कार्टून रखे थे। इसके अलावा, छत पर भी 82 कार्टून रखे गए थे, जिसमें कुर्सियाँ और प्लायवुड की शीट्स थीं। कुल मिलाकर, 342 भरे हुए कार्टून थे और 20 खाली कार्टून रखे गए थे।
आग लगने के बाद, धुआं तेजी से भवन में फैलने लगा। इससे कर्मचारियों में घबराहट फैल गई, लेकिन उन्होंने तुरंत फायर एक्सटिंग्विशर्स का इस्तेमाल करते हुए आग को काबू में कर लिया। गनीमत रही कि समय रहते आग पर काबू पा लिया गया, जिससे बड़ा हादसा टल गया। अगर आग और फैलती तो स्थिति काफी गंभीर हो सकती थी, क्योंकि इन कार्टूनों में भरी कुर्सियाँ और प्लायवुड जल्दी जल सकते थे।

धुआं उठते ही कर्मचारियों ने दौड़कर बुझाई आग, बड़ा हादसा टला
भोपाल। विध्यांचल भवन में शनिवार को आग लगने की घटना के दौरान कर्मचारियों ने तत्परता दिखाते हुए समय रहते आग पर काबू पा लिया, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया। जानकारी के अनुसार, आग फ्लोर से छत तक जाने वाले हिस्से में लगी थी। जैसे ही धुआं उठा, कर्मचारियों ने उसे देखा और तुरंत दौड़ते हुए आग को बुझा दिया।
बिल्डिंग की मरम्मत और देखभाल का जिम्मा संभाल रहे पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर कमल सिंह कीर ने बताया कि धुआं देखते ही उन्होंने तुरंत अपनी टीम के साथ दौड़कर आग को बुझाया और उसे फैलने से पहले ही नियंत्रित कर लिया। कर्मचारियों की त्वरित कार्रवाई से स्थिति काबू में आ गई और बड़ा नुकसान होने से बच गया।
विध्यांचल भवन में आग लगने की 2 वजहें सामने आईं: वेल्डिंग और बीड़ी-सिगरेट की चिंगारी
भोपाल। विध्यांचल भवन में आग लगने की वजहों का खुलासा हुआ है। जांच में दो प्रमुख कारण सामने आए हैं। पहली वजह वेल्डिंग के दौरान उत्पन्न हुई चिंगारी, और दूसरी वजह बीड़ी या सिगरेट की चिंगारी बताई जा रही है।
बताया जा रहा है कि छत पर कुछ मजदूर काम कर रहे थे, जहां आग भी लगी। आशंका जताई जा रही है कि बीड़ी या सिगरेट पीने के दौरान मजदूर की चिंगारी कार्टूनों पर गिर गई, जिससे आग लग गई।
यह घटना सुरक्षा उपायों की अहमियत को फिर से उजागर करती है, खासकर जब वेल्डिंग और धूम्रपान जैसी गतिविधियाँ भवनों में काम करते समय खतरनाक साबित हो सकती हैं।

भोपाल की सबसे पुरानी इमारतें: सतपुड़ा और विंध्याचल भवन
भोपाल। राजधानी भोपाल की सबसे पुरानी इमारतों में सतपुड़ा और विंध्याचल भवन शामिल हैं, जो 1982 में बनकर तैयार हुए थे। इन दोनों भवनों का निर्माण उस समय बड़े बजट में हुआ था – सतपुड़ा भवन का निर्माण 4.61 करोड़ रुपए में हुआ था, जबकि विंध्याचल भवन का निर्माण 4.95 करोड़ रुपए में हुआ था।
इन भवनों से मध्यप्रदेश सरकार के कई महत्वपूर्ण विभाग संचालित होते हैं, जिनमें शिक्षा, आयुष, आदिम जाति कल्याण, उद्योग, सहकारिता, कृषि, घुमक्कड़ और पिछड़ा वर्ग जैसे प्रमुख विभाग शामिल हैं। इन भवनों का ऐतिहासिक और प्रशासनिक महत्व शहर के विकास में अहम भूमिका निभाता है।
द भारत 24 न्यूज़ भोपाल
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