नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों ने कतर की एक अदालत द्वारा संदिग्ध जासूसी के मामले में मौत की सजा सुनाए जाने के करीब साढ़े तीन महीने बाद जेल में बंद आठ पूर्व नौसैनिकों की रिहाई को भारत के लिए ‘बड़ी कूटनीतिक जीत’ बताया और इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘दुनिया में कहीं भी किसी भी भारतीय पर संकट आया हो, उनकी सुरक्षित स्वदेश वापसी मोदी की गारंटी है. क़तर की जेल में बंद भारतीयों की सुरक्षित स्वदेश वापसी का श्रेय भारत के प्रति दुनिया की दृष्टि बदलने वाले भारत के प्रधानमंत्री की कुशल कूटनीतिक रणनीति को जाता है.
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने स्वदेश वापसी पर पूर्व नौसैनिकों का स्वागत करते हुए कहा, “जैसे ही हमारे नौसेना के दिग्गज भारतीय धरती पर लौटे तो उन्होंने इसे संभव बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हार्दिक आभार व्यक्त किया।”
उन्होंने आगे कहा, “इस समय जब दुनिया में तेजी से बदलाव हो रहा है, भारत की रक्षा तैयार है और हम अपने नौसेना के वीर योद्धाओं का स्वागत करते हैं। हम उनके साथ हैं और उनकी प्रेरणा से प्रेरित हैं।”
ईरानी ने इस संबंध में आगे भी कहा, “हमारे नौसेना के जवानों और उनके परिवारों का हम सदैव सम्मान करते हैं, और उनके साथ हैं। हम उनकी सेवा और बलिदान के लिए आभारी हैं।”
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपनी पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की कड़ी गंभीरता और क्षमता की प्रशंसा की। उन्होंने उत्साह से कहा कि पूर्व नौसेना कर्मियों की घर वापसी एक खुशी का क्षण है और इससे वह मजबूती महसूस कर रहे हैं कि सरकार उनके नागरिकों की रक्षा के लिए किसी भी कीमत पर तैयार है। उन्होंने मोदी जी के लिए विश्वास और स्थायित्व की भावना व्यक्त की, कहते हुए कि प्रधानमंत्री का मतलब भारत के लोगों के जीवन और स्वतंत्रता की पूर्ण गारंटी है।
भाजपा प्रवक्ता शाजिया इल्मी ने बताया कि पूर्व नौसैनिकों की रिहाई भारत के लिए ‘बड़ी कूटनीतिक जीत’ है। उन्होंने इसे भारतीय विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों के महत्व का प्रमाण माना। उन्होंने इसे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण बताया और इसकी भारतीय बातचीत के साथ किये गए उत्तरदायित्व का संदर्भ दिया।
नौसेना के पूर्व कर्मियों को 26 अक्टूबर को कतर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। खाड़ी देश की अपीलीय अदालत ने 28 दिसंबर को मृत्युदंड को कम कर दिया था और पूर्व नौसैन्य कर्मियों को अलग-अलग अवधि के लिए जेल की सजा सुनाई थी। निजी कंपनी अल दहरा के साथ काम करने वाले भारतीय नागरिकों को जासूसी के एक कथित मामले में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था।
पिछले साल 25 मार्च को, भारतीय नौसेना के आठ कर्मियों के खिलाफ आरोप लगाए गए थे और उन पर कतर के कानून के तहत मुकदमा चलाया गया था। अपीलीय अदालत ने मौत की सजा को कम करने के बाद भारतीय नागरिकों को उनकी जेल की सजा के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए 60 दिन का समय दिया था। इसके अलावा, मई महीने में, अल-दहरा ग्लोबल ने दोहा में अपना परिचालन बंद कर दिया और वहां काम करने वाले सभी लोग, मुख्य रूप से भारतीय, अपने देश लौट आए।
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