ग्वालियर :- राजकुमार शर्मा

तहसीलदार शत्रुघन सिंह चौहान
ग्वालियर के तहसीलदार शत्रुघन सिंह चौहान पर 17 साल तक एक महिला से शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया गया है। ऐसे आरोप किसी भी व्यक्ति के खिलाफ बड़ी कानूनी और सामाजिक चुनौती पैदा कर सकते हैं, खासकर जब आरोप सरकारी अधिकारी पर हो।
महिला के वकील द्वारा तहसीलदार का आपराधिक रिकॉर्ड पेश किया गया है, और कोर्ट ने पुलिस को इसे सत्यापित करने का आदेश दिया है, यह दर्शाता है कि मामला पूरी तरह से जांच के अधीन है। पुलिस को दो दिन का समय दिए जाने के बावजूद, अब तक आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है, जो कानून के दृष्टिकोण से चिंता का विषय है। न्याय की प्रक्रिया में समय की अहमियत होती है, और इस मामले में पीड़ित महिला को समय रहते न्याय मिलना आवश्यक है।
अग्रिम जमानत पर सुनवाई में यह देखा जाएगा कि आरोपी के खिलाफ गंभीर आरोपों की प्रकृति क्या है, और क्या उसे जमानत दी जा सकती है या नहीं। साथ ही, पुलिस को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोर्ट को सही जानकारी और आवश्यक रिकॉर्ड प्रदान किया जाए ताकि मामले में उचित और शीघ्र कार्रवाई हो सके।

पीड़ित महिला जिसने अपनी जान को खतरा बताया है।
पुलिस को पेश करना है जवाब
ग्वालियर में तहसीलदार शत्रुघन सिंह चौहान की अग्रिम जमानत याचिका पर आज (मंगलवार) कोर्ट में सुनवाई होनी है। इस मामले में पुलिस को तहसीलदार के खिलाफ मध्य प्रदेश के भिंड और उत्तर प्रदेश के इटावा में दर्ज 16 आपराधिक मामलों से जुड़ी जानकारी और उनकी सत्यता कोर्ट में पेश करनी है।
शनिवार को पुलिस को यह डिटेल कोर्ट में जमा करनी थी, लेकिन वीआईपी ड्यूटी का हवाला देते हुए पुलिस ने दो दिन का समय और मांग लिया। अब यह समय सोमवार को पूरा हो गया है, और मंगलवार को पुलिस को रिकॉर्ड पेश करना होगा।
पीड़िता के वकील ने तहसीलदार शत्रुघन सिंह चौहान का आपराधिक रिकॉर्ड पहले ही कोर्ट में पेश किया था। इसमें 2000 से 2011 के बीच तहसीलदार पर हत्या, हत्या के प्रयास, लूट और डकैती जैसे 16 गंभीर मामलों के आरोप बताए गए हैं। हालांकि, तहसीलदार ने अधिकतर मामलों में खुद को निर्दोष बताया था।
पीड़िता ने सस्पेंड करने की मांग की
महिला का यह आरोप कि पुलिस जानबूझकर तहसीलदार को गिरफ्तार नहीं कर रही और उसे बचाने के प्रयास कर रही है, यह प्रशासनिक पक्ष के भ्रष्टाचार और कार्यों में पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है। जब किसी आरोपित व्यक्ति का आपराधिक रिकॉर्ड भी हो, और वो कई गंभीर मामलों में शामिल रहा हो, तो पुलिस की जिम्मेदारी बनती है कि वो तत्काल कार्रवाई करें।
महिला द्वारा अपनी जान को खतरा बताए जाने से यह और भी संवेदनशील बन जाता है। पीड़िता को सुरक्षा प्रदान करना, उसके साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करना और आरोपित अधिकारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई करना प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। महिला का आरोप कि वरिष्ठ अधिकारी तहसीलदार को बचाने का प्रयास कर रहे हैं, यदि सही है, तो यह न केवल न्याय की प्रक्रिया में विघ्न डालने जैसा होगा, बल्कि यह प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के कद और उनके कर्तव्यों पर भी सवाल उठाएगा।
महिला ने बताया कि 2008 में शत्रुघन सिंह चौहान का उसके जेठ के पास आना-जाना था। इसके बाद उन्होंने उसे शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाए और लगातार शोषण किया। महिला के मुताबिक, 10 अगस्त 2008 को भिंड के मानगढ़ में रात 10.30 बजे शत्रुघन सिंह चौहान ने उसे शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाए। इसी साल वह नायब तहसीलदार बने और इसके बाद लगातार उसका शारीरिक शोषण करते रहे।
महिला का आरोप है कि साल 2010 में रतनगढ़ माता मंदिर पर सिंदूर भरकर नौटंकी की गई और इसके बाद जहां-जहां तहसीलदार की पोस्टिंग रही, वह वहां पर उसे रखा और शारीरिक संबंध बनाए। महिला का कहना है कि 2014 में शत्रुघन सिंह चौहान से उसे एक बेटा भी हुआ। महिला का कहना है कि डीएनए टेस्ट से साबित किया जा सकता है कि बच्चा उसी का है।
15 जनवरी को ग्वालियर महिला थाना में तहसीलदार शत्रुघन सिंह चौहान के खिलाफ रेप का मामला दर्ज किया गया था।
यह पहली बार नहीं है जब तहसीलदार पर यौन शोषण का आरोप लगाया गया हो। इससे पहले, सीटी सेंटर तहसील ऑफिस में एक महिला कर्मचारी ने भी तहसीलदार पर शोषण का आरोप लगाया था, जिसके बाद उसे इमरजेंसी ट्रांसफर पर भेजा गया था। इस मामले के बाद तहसीलदार को कलेक्टर कार्यालय में अटैच किया गया था।
क्या आपको लगता है कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में गंभीरता से कार्रवाई करेंगे और महिला को जल्द न्याय मिलेगा?
द भारत 24 न्यूज़ भोपाल
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