2024 लोकसभा चुनावों में बीजेपी के लिए जीत की चुनौती बढ़ चुकी है। राम मंदिर उद्घाटन से पार्टी के पक्ष में एक माहौल तो बना है, लेकिन आंकड़ों की तराजू पर तौलने पर मामला कमजोर हो रहा है। इससे साफ है कि बीजेपी को चुनाव में अभी और भी मेहनत करनी होगी। 2019 में 2014 के मुकाबले बीजेपी को 6 प्रतिशत अधिक वोट मिला था और लगभग 21 सीटें भी अधिक जीतने में कामयाब रही थीं। हालांकि, इसके बावजूद, नए लक्ष्य के साथ आने वाली चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। यह साबित करता है कि बीजेपी के लिए 370 सीटों का पहाड़ अब भी मुश्किल नहीं है।
नरेंद्र मोदी के बीजेपी सरकार के कार्यकाल में पांच प्रमुख हिस्सों की मुश्किलों को पार करना एक चुनौती हो सकती है:
राजनीतिक और सामाजिक विभाजन: भारत में राजनीतिक और सामाजिक विभाजन एक बड़ी मुश्किल है, जो सरकार के कार्यकाल को प्रभावित कर सकता है।
आर्थिक संकट: बजट, अर्थव्यवस्था, और रोजगार के मुद्दे भी बड़ी चुनौतियों में शामिल हैं, जिनका समाधान करना महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रीय सुरक्षा: आतंकवाद, सीमा सुरक्षा, और गेंदबाज़ी के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले भी बड़ी प्राथमिकता हैं।
सामर्थ्य विकास: जनसंख्या की बढ़ती संख्या, शिक्षा, स्वास्थ्य, और आधुनिक अवसायिक विकास के मामले भी महत्वपूर्ण हैं।
वायु प्रदूषण और पर्यावरण की संरक्षण: जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण का नियंत्रण, और पर्यावरणीय संरक्षण पर ध्यान देना भी आवश्यक है।
ये मुश्किलें मोदी सरकार को अपने विकास के लक्ष्यों की ओर ले जाती हैं, और उन्हें पार करने में सहायक बनाने के लिए नीतियों और कदमों को सावधानीपूर्वक अंजाम देना आवश्यक
1-पंजाब-हरियाणा- हिमाचल-कश्मीर और दिल्ली में इस बार मुश्किल
2014 के बाद से भारत में बीजेपी की लोकप्रियता में तेजी से वृद्धि हुई है, लेकिन उत्तर भारत के पंजाब और दिल्ली में बीजेपी को जनता का साथ प्राप्त करने में कठिनाई है। पार्टी ने इन राज्यों में अपना स्थान स्थापित करने के लिए प्रयास किया है, लेकिन छोटे राज्य होने के कारण हर सीट को जीतना महत्वपूर्ण है, खासकर 370 को निश्चित करने के लिए। पंजाब में बीजेपी का मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी से है, और शिरोमणी अकाली दल भी अब उसके साथ नहीं है। इसलिए, इन 13 सीटों में से हर एक को जीतना मुश्किल हो सकता है। कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पहली बार चुनाव होंगे। लद्दाख में केंद्र के खिलाफ हाल ही में हुए आंदोलन से वहां की सीटें भी खतरे में हैं। हिमाचल में कांग्रेस की सरकार आ चुकी है, जिससे जाहिर है कि सरकारी पार्टी को कुछ माइलेज मिल सकता है। पिछली बार यहां पर बीजेपी को 4 में से 4 सीटें मिली थीं। इस बार भी सभी सीटों पर होने वाले चुनाव महत्वपूर्ण होंगे।
2-यूपी में सीट बढ़ाना टेढ़ी खीर होगा
उत्तर प्रदेश में 2019 के चुनावों में बीजेपी ने 80 में से 62 सीटों की जीत हासिल की थी, जबकि 2 सीटें सहयोगी दलों ने जीती थीं। बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन वे 2014 की तरह सफल नहीं हो सकीं। बहुजन समाज पार्टी को 10 सीटें और समाजवादी पार्टी को केवल 5 सीटें मिलीं। 2024 के चुनाव में भी इंडिया गठबंधन के साथ चला जा रहा है। अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के बीच सहमति हुई है।
कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग पर चर्चा हो रही है, और समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को 11 सीटों की पेशकश की है। यदि यह समझौता हो जाता है, तो बीजेपी को अपना पुराना प्रदर्शन दोहराना मुश्किल होगा।
3-पूर्वी भारत इस बार चैलेंज होगा
बीजेपी को इस बार बंगाल, बिहार, और उड़ीसा में अपनी सफलता दोहराना मुश्किल ही लग रहा है। बीजेपी के पास ओडिशा से केवल आठ लोकसभा सांसद हैं, जबकि बीजेडी के पास 20 सीटें हैं। ओडिशा में बीजेपी की संभावना इसलिए भी कम लग रही हैं कि क्योंकि बीजेपी यहां पर अभी तक आक्रामक राजनीति नहीं कर रही है। ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक के खिलाफ बीजेपी का दोस्ताना मुकाबाल चल रहा है। दूसरे नवीन पटनायक भी बीजेपी की राजनीति कर रहे हैं। बीजेपी के पास अगर अयोध्या का राम मंदिर है, तो नवीन पटनायक के पास पुरी का कॉरिडोर है। इसी तरह, 370 सीटों के सपने को पूरा करने के लिए बंगाल भी बाधक है। बीजेपी को यहां अपना पुराना रेकॉर्ड 19 सीटों से आगे बढ़ने की कहीं से भी उम्मीद नहीं दिख रही है। जिस तरह यहां लोकसभा चुनावों के बाद फिर से टीएमसी मजबूत हो कर उभरी है, उससे नहीं लगता कि बीजेपी अपनी पुरानी सीटें भी मेंटेन कर पाएगी।
4-दक्षिण भारत में 25 की बजाय 50 सीट जीतना होगा
बीजेपी को आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, और केरल में लोकसभा चुनावों में सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत समर्थन और उत्तेजना की आवश्यकता है। इन राज्यों में पार्टी को नई रणनीतियों को अपनाना और स्थानीय मुद्दों को महत्व देना होगा। विकास के लिए नेतृत्व प्रदर्शन और स्थानीय जनता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना भी महत्वपूर्ण होगा। इसके अलावा, संगठन को स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर काम करना होगा ताकि पार्टी का विस्तार हो सके और उनकी प्रतिष्ठा में वृद्धि हो।
5-महाराष्ट्र की मुश्किल
महाराष्ट्र राज्य ने लोकसभा में उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक सीटों का उत्पादन किया है। वर्तमान में यहां 48 सीटें हैं, जिनमें सीएम की पार्टी बीजेपी को 23 सीटें मिली थीं। हालांकि, गोदावरी नदी में काफी बारिश होने से समय के साथ राज्य में राजनीतिक दृष्टि को बदलना पड़ा है। बीजेपी ने शिवसेना और एनसीपी को अलग करके अपनी शक्ति बढ़ाने की कोशिश की है, लेकिन चुनावी परिणाम इसे अभी भी कमजोर बता रहे हैं। शरद पवार और उद्धव ठाकरे की मजबूती के कारण, जो बिना पार्टी के भी अहम रहे हैं, यह साबित होता है।
Discover more from The Bharat 24 News
Subscribe to get the latest posts sent to your email.